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Lok Sabha Polls 2019: अभी तक हमनी सांसद-विधायक के मुंह नाय देखले हियई

Lok Sabha Polls 2019. हुसैनाबाद के महुडंड पंचायत का आधा दर्जन गांव विकास से कोसों दूर है। यहां न कभी सांसद आते हैं और न कोई विधायक आदिम जनजाति के गांवों को देखने आता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 02:25 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 02:25 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: अभी तक हमनी सांसद-विधायक के मुंह नाय देखले हियई
Lok Sabha Polls 2019: अभी तक हमनी सांसद-विधायक के मुंह नाय देखले हियई

हुसैनाबाद, [जयनंदन पांडेय]। हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के अति उग्रवाद प्रभावित महुडंड पंचायत का आधा दर्जन गांव अब तक विकास से कोसों दूर है। यहां न तो कभी सांसद का भ्रमण हुआ है न ही कोई विधायक इस आदिम जनजाति के गांवों को देखने आता है। चुनाव आते ही गांव वालों से वोट डालने के लिए कहा जाता है, लेकिन विकास के मामले में यह पंचायत उपेक्षित है।

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गांव के गरीब आदिम जनजाति के लोगों का कहना है कि बाबू हमनी त अब तक न तो सांसद को पहचानते हैं और न ही विधायक। हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर जंगल व पहाड़ों से घिरा फटिया, नईया, नसो जमालपुर, केमो, प्रतापपुर आदि गांवों में जाने के लिए सड़क भी नहीं है। आज भी अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो उसे खाट के सहारे ले जाया जाता है।

15 से 20 किमी पगडंडी के रास्ते हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय अस्पताल पहुंचाया जाता है। इस दौरान कई रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। कई बार गरीब आदिम जनजातियों ने गांव में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है। लेकिन किसी नेता ने इनकी आवाज नहीं सुनी। नसो जमालपुर के एक दर्जन से अधिक परहिया जाति के लोग कभी वुद्धा पेंशन के लिए तो कभी आंख का इलाज करने के लिए हुसैनाबाद जाते हैं।

गांव के बिगु परहिया, प्रवेश परहिया, नरेश परहिया, गणेश परहिया आदि ने बताया कि बाबू हमनी गरीबवन के अब तक कोई सुविधा नाही मिललई। गांव में न ही त रोड न ही अस्पताल। छोटे-छोटे लईकवन के भी पढ़े खातिर काफी दूर पैदल जंगल में भेजेला पड़हई। अब तक कभी भी न ही त हमनी सांसद के मुंह देखले हियई न ही विधायक के। वोटवा के पारी आवहई त दललवन वोट दिलवावे खातिर घूमे लागले हथिन।

पहिले त भय रहई की क्षेत्र में उग्रवादी हथिन। अब त उग्रवादियनों ऐने ना अव हथिन। कई लोगों ने बताया कि सात सिंतबर 2017 को प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम के तहत महुडंड गांव के मध्य विद्यालय प्रांगण में कार्यक्रम हुआ था। इसमें पलामू के तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार शामिल थे। इसमें जिला के कई अधिकारी व पदाधिकारी भी थे।

कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार ने मंच से घोषणा की थी कि गरीबों को उनका हक व अधिकार अवश्य मिलेगा। आश्वासन केवल कागज के पन्नों में ही सिमट कर रह गया। क्षेत्र के ग्रामीणों को न तो समय पर राशन उपलब्ध होता है, न ही आंगबाड़ी में बच्चों को पोषाहार मिलता है। इसकी शिकायत भी कई बार लोगों ने जिला व अनुमंडल मुख्यालय सहित कई पदाधिकारियों से की। हाल यथावत है। आखिर गरीबवन कहां जाएं।


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