लाह उत्पादन को कृषि का दर्जा मिलने से बदलेगी पलामू की तस्वीर
संवाद सूत्र लेस्लीगंज (पलामू) झारखंड सरकार ने लाह उत्पादन को कृषि का दर्जा देकर एक बेहतर
संवाद सूत्र, लेस्लीगंज (पलामू):
झारखंड सरकार ने लाह उत्पादन को कृषि का दर्जा देकर एक बेहतरीन पहल की है। इससे पलामू की तस्वीर बदलेगी और बढ़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा। लाह को लेकर सरकारी मशीनरी ठीक से काम करे तो इससे जिले में करीब 40 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिलने की संभावना है। मालूम हो कि दैनिक जागरण ने पलामू में लाह उत्पादन को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चला रखा था। इस अभियान में रिद्धि-सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति कुंदरी सहित कई अन्य सामाजिक संगठन भी जुड़े थे। अब मुख्यमंत्री द्वारा इसकी घोषणा कर दी गई है तब इस मुहिम से हुए लोगों में काफी हर्ष है। बताते चलें कि प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण झारखंड विश्व में सबसे ज्यादा लाह उत्पादन करने वाला राज्य है। भारत का करीब 50 प्रतिशत लाह उत्पादन झारखंड में उत्पादित होता है। इतना ही नहीं एशिया महादेश का दूसरा सबसे बड़ा लाह बगान भी पलामू जिलान्तर्गत लेस्लीगंज प्रखंड के कुंदरी में है। जिसके मृतप्राय: होने के बाद रिद्धि-सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति के संस्थापक कमलेश कुमार सिंह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने इसे पुनर्जीवित करने के साथ-साथ लाह के समुचित विकास के लिए युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ किया और लाह की खेती को कृषि का दर्जा देने की मांग की थी। कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि नई सरकार से हमसभी को काफी उम्मीदें थी। जो हेमंत सोरेन सरकार ने पूरी कर दी है। जिससे पूरे प्रदेश के लाह किसानों में एक खुशी की लहर है। हमसभी इसके लिए सरकार और उससे जुड़े सभी अधिकारियों का धन्यवाद देते हैं। जिले के लाख उत्पादकों का कहना है कि सरकार के इस सकारात्मक पहल से किसानों के आय दुगुनी होगी। खासकर पलामू प्रमंडल के सभी प्रखंडों में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाला लाह पोषक वृक्षों पर पुन: खेती प्रारंभ होगी।
कोट
सरकार की इस पहल का स्वागत है। इससे पलामू में रोजगार का सृजन होने के साथ ही किसानों की आय दोगुनी होगी। करीब 40 लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा।
कमलेश कुमार सिंह, संस्थापक, रिद्धि-सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति।