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एशिया के दूसरे सबसे बड़े लाह बागान का अस्तित्व खतरे में

राजीव रंजन लेस्लीगंज (पलामू) पलामू जिले के लेस्लीगंज प्रखंड स्थित कुंदरी लाह बागान एशिया महा

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 06:36 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 06:36 PM (IST)
एशिया के दूसरे सबसे बड़े लाह बागान का अस्तित्व खतरे में
एशिया के दूसरे सबसे बड़े लाह बागान का अस्तित्व खतरे में

राजीव रंजन, लेस्लीगंज (पलामू) : पलामू जिले के लेस्लीगंज प्रखंड स्थित कुंदरी लाह बागान एशिया महादेश का दूसरा सबसे बड़ा लाह बगान है। एशिया फेम कुंदरी बागान 421 एकड़ में फैला हुआ है। यह विगत 35 वर्षों से मृत प्राय: हो चुका था। वर्ष 2014 में ऋद्धि सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादन सहयोग समिति, कुंदरी और स्थानीय ग्रामीणों की एकजुटता व जागरूकता के कारण पुन: बगान का संरक्षण कर वर्ष 2017 से लाह की खेती जिला प्रशासन के सहयोग से शुरू हुई। ग्रामीणों ने विरान हो चुके लाह बागान में बड़ी संख्या में नए पलाश के पौधे लगाकर फिर से बागान को हरा भरा कर दिया। आज के समय में यहां तकरीबन 90 हजार पलाश के पेड़ हैं। रिद्धि-सिद्धि एवं ग्रामीणों ने लाह के क्षेत्र में कुंदरी लाह बागान के माध्यम से पलामू की खोई पहचान को वापस लाने की भरपूर कोशिश की। बावजूद बागान में काम किए मजदूरों के साथ विभाग की गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण पलामू की खोई पहचान की वापसी पर ग्रहण लग गया है। वन विभाग ने मजदूरों को मजदूरी नही दिया गया। लाह की खेती भी वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से नहीं हुई। लाह बागान संरक्षण में लगे कई लोगों पर वन विभाग ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया। यही कारण है कि कुंदरी लाह बागान का अस्तित्व फिर से खतरे में दिखाई दे रहा है। बाक्स: लाह उत्पादन से बेरोजगारी मिटाने का सपना नहीं हो रहा पूरा वर्ष 2017-18 में लाहा उत्पादन के माध्यम से बेरोजगारी मिटाने का खाका कुंदरी लाह बागान में तैयार किया गया था। इसके तहत लैक प्रोसेसिग यूनिट, हर्बल गुलाल प्रोसेसिग यूनिट तैयार किए गए। बड़ी संख्या में महिलाओं को लाह की चूड़ी निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। पलाश फूल से बनने वाले हर्बल गुलाल की तैयारी भी शुरू की गई थी। परंतु अब सारा काम बंद पड़ा हुआ है। विभागीय उदासीनता का सबब है कि लाह उत्पादन से बेरोजगारी मिटाने का सपना अब साकार होता नहीं दिख रहा है। बाक्स: इसके उत्थान के लिए पीएमओ की थी बगान पर नजर पलामू जिले के तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2018 में लाह बागान में तेजी से काम हो रहा था। उस समय बागान पर पीएमओ का भी नजर थी। पीएमओ का जांच दल बागान में आकर पलाश से हो रहे विभिन्न तरह के उत्पाद की जांच भी की थी। इतना ही नहीं दिल्ली में 12 वें सिविल सर्विसेज डे के उद्घाटन के मौके पर देशभर के इनोवेटिव प्रोजेक्ट की चर्चा में पलामू के पलाश की चर्चा हुई थी। पलाश से बने हर्बल गुलाल प्रोजेक्ट के साथ-साथ पलाश के वनों के संरक्षण के लिए जो कार्य किए गए थे उसकी सराहना उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने की थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू पथवे पुस्तक का विमोचन किया था। इस में पलामू रेडी टू प्ले गुलाल शीर्षक से पेज नंबर 28 एवं 29 मे पलामू के पलाश को लेकर हुए कार्यो की चर्चा है। बाक्स: देश से दूर होती लाह की कमी, महिलाओं को मिल रहा था रोजगार विदित हो कि पलामू जिले का नाम भी प्रकृति के अनमोल उपहार पलाश लाह और महुआ के नाम से पड़ा है। एक समय मे पलामू से प्रतिवर्ष 5000 टन लाह का उत्पादन हुआ करता था। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण अब महज 107 टन प्रतिवर्ष ही हो रहा है। आंकड़े पर नजर डालें तोवन विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में 7040 किलोग्राम लाह बिहन की खरीदगी हुई। और करीब 1500 किलोग्राम कुंदरी लाह बगान के लाख बिहन से खेती की गई थी। लेकिन विभाग द्वारा उत्पादन मात्र 2200 किलोग्राम बताया गया। मतलब 8540किलोग्राम बिहान पर महज 2200किलोग्राम लाह उत्पादन का आंकड़ा खुद ही अनियमितता, लापरवाही और घोटाला बयान करता है। बाक्स: 3 साल से करीब 150 मजदूरों का है मजदूरी बकाया कुंदरी लाह बागान में काम किए मजदूरों का वर्ष 2018 से लेकर अब तक करीब 6 लाख रुपया मजदूरी बकाया है। अपने बकाया मजदूरी की मांग को लेकर मजदूरों ने कई बार सड़क जाम किए। धरना प्रदर्शन किए। डीएफओ का घेराव किए। बावजूद उनका सुनने वाला कोई नहीं है। बाक्स: क्या कहते हैं पूर्व में कार्यरत लाह बागान के मजदूर पूर्व की कार्यरत मजदूर कहते हैं कि काम किए पर मजबूरी नहीं मिला। इसके लिए कई बार डीएफओ से मिले। डीएफओ का घेराव किए। हो हंगामा किए। परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। डेढ़ सौ से अधिक मजदूर का मजबूरी बकाया है। जैरुन बीबी, शिवरति साव, हरकुन वीवी, गणेशी मांझी, खलील अंसारी, चिता देवी, मंती देवी, कोशिला कुमार सहित अन्य मजदूरों ने कहा कि किसी का 26 दिन, किसी का 22 दिन, तो किसी का 16 दिन का मजबूरी बकाया है। वन समिति के अध्यक्ष रमेश महतो ने बताया कि दिसंबर माह में रेंजर द्वारा दो लाख पंद्रह हजार रुपए बकाया भुगतान किया गया है। अभी भी लगभग छह लाख रुपए मजदूरी बकाया है। बाक्स: क्या कहते हैं ऋद्धि सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति के सचिव रिद्धि सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति के सचिव कमलेश कुमार सिंह का कहना है कि सरकार की मंशा विकास की होती है। विकास के लिए राशि भी आवंटन होता है। परंतु स्थानीय जिला पदाधिकारी आवंटित राशि को मनमाने तरीके से दुरुपयोग करते हैं। पदाधिकारी समय, राशि एवं पद का दुरुपयोग कर कुंदरी लाह बगान को फिर से पुरानी स्थिति में ला खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जंगल की कटाई पर संबंधित प्राधिकारी पर एफआईआर का आदेश दिया है परंतु प्राधिकारी के विरुद्ध आज तक एफआईआर नहीं हो सका। जबकि करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। बाक्स: क्या कहते हैं वन विभाग के अधिकारी कुंदरी वन क्षेत्र के रेंजर जितेंद्र कुमार हजरा ने बताया कि लाह बागान में काम करने वाले मजदूरों का अभी भी मजदूरी बकाया है। दिसंबर 2020 मे 2 लाख 15 हजार रुपए का बकाया भुगतान किया गया है। विभाग द्वारा मजदूर को मजदूरी का आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण भुगतान लंबित है। अभी भी लगभग 150 मजदूरों का छ लाख रुपए का भुगतान बकाया रह गया है। उनने बताया कि कुंदरी लाह बागान एवं लैक प्रोसेसिग यूनिट को विभाग द्वारा अब जेएसएलपीएस को हैंड ओवर कर दिया गया है। अब जेएसएलपीएस के माध्यम से ही कुंदरी लाह बागान का संरक्षण एवं लाह उत्पादन कराया जाएगा।

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