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जल संरक्षण के लिए बनाई मजबूत कार्ययोजना

जागरण संवाददाता पाकुड़ जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए पृथ्

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:30 PM (IST)
जल संरक्षण के लिए बनाई मजबूत कार्ययोजना
जल संरक्षण के लिए बनाई मजबूत कार्ययोजना

जागरण संवाददाता, पाकुड़ : जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए पानी का संरक्षण जरूरी है। वर्षा जल संचयन के लिए नए वित्तीय वर्ष में काफी काम होंगे। जिला प्रशासन व खासकर पेयजल स्वच्छता विभाग ने ठोस प्लान तैयार किया है। नए वित्तीय वर्ष में पीएचइडी व मनरेगा के तहत जल संरक्षण की योजनाओं को धरातल पर उतारने की कोशिश होगी। जल संरक्षण के लिए मनरेगा के तहत सभी प्रखंडों में डोभा, तालाब बनाए जाएंगे। लंबित डोभा का निर्माण कार्य पूर्ण होंगे। सरकारी भवनों के छतों से बहने वाली पानी को इकट्ठा करने की कोशिश होगी। मनरेगा के तहत सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लागू किया जाएगा। पुराने वित्तीय वर्ष में कुछ सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग तकनीक का उपयोग किया गया है। नए वर्ष में बाकी बचे तमाम सरकारी भवनों में इसे लागू कर दिया जाएगा, ताकि वर्षा जल को संरक्षित किया जा सके।

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10 करोड़ की योजनाओं का प्रस्ताव

पीएचइडी विभाग ने भी जल की बर्बादी रोकने के लिए रणनीति बनाई है। सरकार को 10 करोड़ की योजनाओं का प्रस्ताव भेजा गया है। नए वित्तीय वर्ष में स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। इन योजनाओं में गांव-गांव में पानी टंकी तथा पाइपलाइन का काम होगा। पाइपलाइन के माध्यम से लोगों के घरों तक पानी पहुंचाया जाएगा। गृह मालिकों को जल संरक्षण के लिए घर के आसपास शाकपिट बनाने का सुझाव दिया जाएगा। पाकुड़ प्रखंड के सराईढेला, सेजा, बाहिरग्राम, मंगलापाड़ा, कसिला, लखनपुर, शहरकोल, हमरूल, वन विक्रमपुर, बासमता, चिरूडीह, सालबोनी, राजापुर व पतरा पाड़ा गांव में टंकी का निर्माण होगा। इसी तरह पाकुड़िया प्रखंड के हरिपुर, पाथरडांगा, चिरूडीह, जोंका, शहरपुर तथा लिट्टीपाड़ा प्रखंड के कलदम में पानी टंकी का निर्माण होगा।

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ग्रामीणों को किया जाएगा जागरूक

नए वित्तीय वर्ष में जिला प्रशासन व पीएचइडी विभाग जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करेगी। लोगों को जल संरक्षण का तरीका बताया जाएगा।

-जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का करें उपयोग

-पानी के नालों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें।

-मंजन करते समय नल को बंद रखें।

-स्नान करते समय अधिक जल को व्यर्थ न करें।

-खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को धोते समय नलों को खुला न छोड़ें।

-जल संचयन के लिए घर के आसपास हौज का निर्माण करें।

-घर बनाते समय रेन वाटर हार्वेस्टिग तकनीक का उपयोग अवश्यक करें। ----

जल संरक्षण के मामले में प्रशासन गंभीर है। नए वित्तीय वर्ष में डोभा आदि का निर्माण होगा। सरकारी भवनों के छतों से बहने वाली पानी को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग तकनीक लागू की जाएगी।

अनमोल कुमार सिंह, डीडीसी, पाकुड़


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