निजीकरण से रेलवे की रियायतें हो जाएगी बंद
संवाद सहयोगी पाकुड़ ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर ईस्टर्न रेलवे मेंस यू
संवाद सहयोगी, पाकुड़ : ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के बैनर तले रेलवे स्टेशन में रविवार को सैकडों रेल कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीति एवं रेलवे परिसंपत्तियों को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ प्रदर्शन किया। आंदोलन का नेतृत्व ईआरएमयू के शाखा अध्यक्ष अखिलेश चौबे ने किया। रेल कर्मचारियों ने रेल बचाओ-देश बचाओ का नारा बुलंद किया। रेल कर्मियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।
यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार ओझा ने के कहा कि केंद्र सरकार इस कोरोना महामारी की आड़ में रेलवे के निजीकरण का प्रयास कर रही है। रेलवे के निजी करण से वस्तुत: सर्वाधिक हानि आम जनता को होने जा रही है, क्योंकि आज भी रेलवे के सभी टिकटों पर 43 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। रेलवे निजीकरण होने से आमजनता को मिलने वाली 53 तरह की रियायतें बंद हो जाएगी। निजीकरण से वरिष्ठ नागरिक, स्पोर्ट्स, दिव्यांग व महिला आदि कोटा बंद हो जाएगा।
रेलवे निजीकरण का विरोध आम जनता को भी खुल कर करना चाहिए। केंद्र सरकार को यह पता है कि कोरोना काल में किसी भी बड़े धरना एवं प्रदर्शन की इजाजत नहीं होने के कारण कोई संगठन ऐसा आयोजन करने में असमर्थ है। इसलिए एक रणनीति के तहत सभी योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। 9 अगस्त को विरोध दिवस के रूप में इसलिए चुना गया है, क्योंकि बापू महात्मा गांधी ने भी अंग्रेजों के खिलाफ आज ही के दिन अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया था। दस लाख रेल कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को ट्वीट एवं ईमेल के माध्यम से प्रतिरोध दर्ज कराएंगे।
इस मौके पर संयुक्त सचिव फजले रहमान, सह सचिव पिटू पटेल, अमर मल्होत्रा, विक्टर जेम्स, दीपक प्रमाणिक, रामकुमार यादव, प्रशांत कुमार, कमलेश रंजन, अमरदेव आदि रेल कर्मी मौजूद थे।