मस्जिदों में अदा की गई अलविदा जुम्मा की नमाज
संवाद सहयोगी पाकुड़ माहे रम•ान में अलविदा जुम्मा का अपना महत्व है। जिसमें रोजेदार समेत
संवाद सहयोगी, पाकुड़ : माहे रम•ान में अलविदा जुम्मा का अपना महत्व है। जिसमें रोजेदार समेत वह लोग भी नमा•ा अदा करते हैं जो रोजा नहीं रख पाते है। इसको लेकर मस्जिदों में खासी भीड़ जमा होती रही है लेकिन लॉकडाउन के कारण सरकार के दिशा-निर्देश पर अमल करते हुए मस्जिदों में 4 से 5 लोगों ने अलविदा जुम्मा की नमा•ा अदा की। वहीं लोगों ने नमाज जुहर अपने घरों में अदा की । माहे रमजान तीन हिस्से में बंटा गया है। रहमत, बरकत और मगफिरत ये रमजान के अलविदा जुम्मा मगफिरत का वाला होता है। ऐसा मानना है कि इस आखरी हिस्से में मांगी दुआ कबूल होती है। जिसकी इबादत को लेकर लोगों का हजूम होता है। लोगों ने कोरोना महामारी से निजात की दुआ मांगी। शहर के हरिणडांगा बाजार जामा मस्जिद, बगानपाड़ा नूरी जामे मस्जिद, हरिणडांगा बाजार जामे अतरिया, मद्य पाड़ा जामा मस्जिद, दिलावर कॉलोनी जामा मस्जिद , हाटपाड़ा जामा मस्जिद, बड़ी अलीगंज जामा मस्जिद आदि मस्जिदों में सादगी के साथ नमाज अलविदा अदा की गई। हरिणडांगा बाजार मस्जिद के इमाम मुफ्ती मौलाना जमील अहमद मिस्बाही तथा अंजर कासमी ने लोगो से अपील की कि वह नमा•ा और इबादत अपने घरों में रह कर करें। घर पर रहे सुरक्षित रहें। साथ ही साथ कोरोना से पूरी दुनिया की मुक्ति की दुआ करने की अपील की।