गृहयुद्ध से बचाने को जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी
पाकुड़ जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न संसाधन सामाजिक आर्थिक एवं पर्यावरण संकट से भारत पल प्रतिप
पाकुड़ : जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न संसाधन सामाजिक आर्थिक एवं पर्यावरण संकट से भारत पल प्रतिपल गृहयुद्ध की ओर अग्रसर है। जनसंख्या संकट से भविष्य में हालात बेकाबू ना हो इसका एकमात्र उपाय सख्त जनसंख्या नियंत्रण कानून है। यह बातें जनसंख्या फाउंडेशन के साहेब हांसदा ने कही।
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जनसंख्या फाउंडेशन के प्रतिनिधि मंडल साहेब हांसदा के नेतृत्व में उपायुक्त कुलदीप चौधरी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सात सूत्री मांग सौंपा है। इसके माध्यम से देश के प्रधानमंत्री से जनसंख्या विस्फोटक से उत्पन्न संसाधन, सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरण संकट से की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। राष्ट्र को संभावित गृहयुद्ध से बचाने हेतु जनसंख्या नियंत्रण कानून संसद में पारित एवं लागू कराने का देश के प्रधानमंत्री से मांग की है। साहब हांसदा ने कहा कि विश्व के कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने टाइम्स हायर एजुकेशन ऑफ लंदन संस्था के सर्वे में मानव अस्तित्व को सबसे बड़ा खतरा बढ़ती जनसंख्या वह प्रदूषण को बताया है। भारत के परिपेक्ष में यह खतरा और अधिक गंभीर हो जाता है। भारत की जनसंख्या आज 138 करोड़ को पार कर चुकी है। सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय स्थितियां विस्फोटक होती जा रही है। हिसाबी राय ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण अतिक्रमण एवं प्रदूषण के फलस्वरूप जीव जंतुओं की लाखों प्रजातियां विलुप्त हो रही है। भविष्य में खाने को पर्याप्त अन्न भी पैदा नहीं होगा और इतने लोगों के लिए शिक्षा चिकित्सा व रोजगार की व्यवस्था भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाएगी। इसलिए प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि संसद में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए प्रस्ताव पारित करें। इस अवसर पर दुर्गा मरांडी, अनिकेत गोस्वामी, असीम मंडल, जवाहर सिंह आदि मौजूद थे।