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पेयजल संकट से जूझ रहे आदिवासी समुदाय के लोग

पाकुड़िया (पाकुड़) : प्रखंड क्षेत्र के जनजातीय बाहुल बासेकुंडी पंचायत के धावाडंगाल सागर टो

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 03:03 AM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 03:03 AM (IST)
पेयजल संकट से जूझ रहे आदिवासी समुदाय के लोग
पेयजल संकट से जूझ रहे आदिवासी समुदाय के लोग

पाकुड़िया (पाकुड़) : प्रखंड क्षेत्र के जनजातीय बाहुल बासेकुंडी पंचायत के धावाडंगाल सागर टोला में पेयजल संकट गहराने लगा है। ग्रामीण पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। इस मामले में विभाग खामोश है। गांव की महिलाएं व पुरुष 1.5 किलोमीटर दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। गांव में तीन चापाकल है लेकिन सूखाग्रस्त इलाका होने के कारण चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है।

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धावाडंगाल सागर टोला गांव में 54 आदिवासियों का घर है। इस गांव में 500 की आबादी निवास करती है। गर्मी के दस्तक देते ही गांव के लोग पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। ग्रामीण 1.5 किलोमीटर चलकर सलगापाड़ा डैम व दो किलोमीटर की दूरी तय कर लोवा टोला स्कूल में लगे चापाकल से पानी ढोकर लाने पर मजबूर हो रहे ग्रामीण कल्याण मरांडी, मसी मरांडी, सुजन किस्कू, दीदीमुनी टुडू, चूंडा मरांडी ने बताया कि यह गांव ड्राई जोन में आता है। गांव में तीन-तीन चापाकल लगाए गए हैं लेकिन किसी भी चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है। एक वर्ष पूर्व गांव में 750 फीट गहरा बो¨रग कराया गया था। बो¨रग में चापाकल भी लगाया गया था। परंतु अब चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है। गांव में न तो सरकारी कूप है और न तालाब। इसलिए ग्रामीण डैम पर ही निर्भर हैं। डैम का पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। तीन वर्ष पहले डायरिया की चपेट में आने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा तीन वर्ष पूर्व श्रमदान कर एक काम चलाऊ कूप खोदा गया था लेकिन गर्मी आते-आते वह भी सूख जाता है। पंचायत के मुखिया जुगनू हांसदा ने बताया कि यहां जलसंकट का स्थाई समाधान की मांग प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से दर्जनों बार की जा चुकी है लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।


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