इस चुनाव में अपना पद गवां बैठे अधिकांश मुखिया
पंचायत चुनाव पर स्टोरी
इस चुनाव में अपना पद गवां बैठे अधिकांश मुखिया
संवाद सहयोगी, पाकुड़ : पंचायत चुनाव के परिणाम से यह बात साफ हो गई है कि राज्य में गांवों की सरकार बदलने के लिए लोग मन बना लिए थे। बदलाव की इस बयार में अधिकांश पंचायत के मुखिया अपनी कुर्सी गवां बैठे। जबकि नए चेहरे पर मतदाताओं ने भरोसा जताया। इसलिए बदलाव की इस आंधी में महज 20 प्रतिशत से कम मुखिया ही अपनी सीट बचा पाए। ग्रामीण नए चेहरों पर एतबार किया। जाहिर है, चेहरों पर कामकाज की रिपोर्ट भारी पड़ी। सदर प्रखंड पाकुड़ के ट्रेंड में बदलाव दिखा। मतदाताओं ने विकास के मुद्दे पर वोट किया। जातिगत वोटरों से निकलकर एक हद तक साफ-सुथरी राजनीति को तवज्जो दी। यही वजह रही कि जिस मुखिया के कामकाज से जहां-जहां लोग संतुष्ट नहीं थे, वहां-वहां उन्हें बदल दिया। पंचायत चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए कई प्रकार की प्रलोभन दी गई, लेकिन मतदाता प्रलोभन में नहीं फंसे। इस बार लोगों ने चुनाव में ग्रामीण योजनाओं में गड़बड़ी तथा पंचायत स्तर तक फैल चुके भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में व्याप्त कमीशनखोरी से लोग वाकई परेशान हो गए थे। कई जगह आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी थे तो पुराने मुखिया ने सर्वाधिक प्रलोभन दिया था, लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से विकास की कई योजनाएं पंचायतों के पास पहुंच गई है। नल-जल योजना, पंचायत सरकार भवन, सोलर लाइट, सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार व गली-नाली योजना समेत जल जीवन हरियाली से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायतों के माध्यम से हो रहा है। लेकिन इसका लाभ ग्रामीण जनता को नही मिल पा रहा था। इसलिए इसबार गांव की सरकार बनाने के लिए लोग सतर्क हो कर वोट किया।