मालीपाड़ावासी माली हालत सुधारने जाते परदेश
पाकुड़ तालीपाड़ा गांव। सदर प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित है। यह पाकुड़ विध
पाकुड़ : तालीपाड़ा गांव। सदर प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित है। यह पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। इसकी आबादी 800 के करीब है। गांव जानेवाली पक्की सड़क पहुंचने से दो किलोमीटर पहले ही समाप्त हो जाती है। कच्ची सड़क के सहारे गांव पहुंचना पड़ता है। यहां के अधिकतर लोग खेती करते हैं। रोजगार के अभाव में पलायन बड़ी समस्या है।
बुधवार को गांव का चुनावी मिजाज जानने पहुंचा। दिन के करीब 10.30 बजे थे। रास्ते में मुलाकात राम सोरेन से होती है। वे बाइक से सोनाजोड़ी सदर अस्पताल जा रहे थे। उन्हें रोक कर पूछा तो बताया कि गांव में जाने के लिए कच्ची सड़क ही है। अधिकतर सड़के कच्ची है। बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में 250 घर है ।
लोग खेती व मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। गांव में सिचाई की कोई सुविधा नहीं है। गांव में मिट्टी के मकानों की संख्या अधिक हैं। दो-चार निर्माणाधीन हैं जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे हैं। गांव में आगे बढ़ने पर मालीपाड़ा चौक पर चाय दुकान हैं। यहां कुछ मजदूर वर्ग के लोग बैठकर आपस में बात कर रहे थे। चाय दुकान से कुछ ही दूरी पर पत्थर खादान है। गांव में सन्नाटा पसरा था एक दो बुजुर्ग महिलाएं व छोटे बच्चे ही आते-जाते दिखे। अब दिन के 11 बजने को था लेकिन गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था। पूछने पर लोगों ने बताया कि सभी धान की कटाई में लगे हैं। कुछ दूर चलने पर सड़क किनारे पांच-छह युवक बैठे मिले। वहीं चापाकल पर चार-पांच महिलाएं पानी भर रही थी।
गांव से विद्यालय जाने का रास्ता कीचड़मय है। विद्यालय के बरामदा में दो-चार बच्चे खेल रहे थे। विद्यालय में मौजूद पारा शिक्षक विमल सोरेन ने बताया कि प्रधान शिक्षिका पूर्णिमा देवी चुनाव प्रशिक्षण में पाकुड़ गई है। यहां से फिर 11:30 बजे गांव के मांझी टोला पहुंचते है। यहां कई मिट्टी घर है। घर के सामने बैठकर चार महिला व एक पुरुष बैठकर बात कर रहे थे। महिला मार्था बेसरा ने बताया कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते हैं। चुनाव जितने के बाद विधायक या सांसद आज तक गांव नहीं आए है। ठाकुर मरांडी कहते हैं इस बार धान की अच्छी फसल नहीं हुई है।