पाकुड़ में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी
जागरण संवाददाता पाकुड़ कभी पाकुड़ तालाब की नगरी के रूप में प्रसिद्ध था। जिले में एक स
जागरण संवाददाता, पाकुड़ : कभी पाकुड़ तालाब की नगरी के रूप में प्रसिद्ध था। जिले में एक सौ अधिक जलाशय थे, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी और जागरूकता की कमी कारण इनका अस्तित्व मिटता गया। वर्षा जल को सहेजा नहीं गया और शहर के अधिकतरधीरे-धीरे तालाब सूखने लगे। फिर शुरू हो गया अतिक्रमण का सिलसिला। अभी भी कमोवेश यही स्थिति है। यहां बूंदों को ठौर नहीं मिल रहा है। बारिश का पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है।
जानकार बताते हैं कि पूर्व शहर में करीब 100 रैयती व सरकारी तालाब थे। सरकारी तालाब तो बचे हैं, लेकिन रैयती जलाशय गायब हो गए हैं। 50 फीसद से भी अधिक को मिट्टी से भरकर समतल कर दिया। उसके बाद धीरे-धीरे बेच दिया गया। शहर में करीब एक दर्जन से तालाबों का अतिक्रमण गुजरे 25 साल में हो चुके हैं। तालाब समेत अन्य जलस्त्रोतों की स्थिति बेहद ही खराब है। प्रशासन की ओर से कभी -कभार जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है, लेकिन उसका असर आमजन पर नहीं पड़ रहा है। जल की बर्बादी नहीं रुकने से आने वाली नई पीढ़ी को एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। सरकारी तालाबों पर भी भूमाफिया की नजर है। इसे बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर से कोई सकारात्मक प्रयास भी नहीं किया जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि करीब 30-35 वर्ष पूर्व बरसात के पानी से शहरी क्षेत्र का तालाब लबालब भरा रहता था। उस समय बारिश का पानी बेकार नहीं जाता था। परंतु वर्तमान में स्थिति बदली है। लोग आवश्यकता से अधिक पानी खर्च करते हैं। यही कारण है कि शहर में हाहाकार मचा हुआ है। वर्षा जल हम सहेज नहीं पा रहे हैं। बोरिग कर हम पानी निकालते हैं, लेकिन उसे रिचार्ज करने के बार में नहीं सोचते हैं। लिहाजा भूजल स्तर गिरता जा रहा है। घर बनाते समय नगर परिषद से निर्देश दिया जाता है कि वर्षा जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम जरूर बनाएं। सरकारी भवनों में भी यह व्यवस्था लागू होनी है। पीएचइडी विभाग जल संरक्षण के लिए प्रत्येक चापाकल के बगल में शॉकपिट का निर्माण कराती है, ताकि खराब जल को इकट्ठा कर भूजल को रिचार्ज किया जाए। --------------------- जल संरक्षण के लिए नगर परिषद काफी प्रयास कर रही है। शहरी क्षेत्र में भवन बनाने के दौरान रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना जरूरी है। इससे वर्षा जल को बर्बाद होने से रोका जा सकता है।
गंगाराम ठाकुर,
कार्यपालक पदाधिकारी
नगर परिषद, पाकुड़