मेड़बंदी व समतलीकरण के बाद करें खेती
विज्ञानियों ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य किसानों व आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है।
संवाद सूत्र, महेशपुर (पाकुड़) : कृषि विज्ञान केंद्र में रविवार को विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उद्घाटन केवीके के वरीय विज्ञानी डा. श्रीकांत सिंह व डा. विनोद कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसमें विभिन्न प्रखंडों से 100 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के संबंध में जानकारी दी गई। विज्ञानियों ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य किसानों व आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है।
डा. श्रीकांत सिंह ने बताया कि पांच दिसंबर को पूरे विश्व में मृदा स्वास्थ्य दिवस का आयोजन कर मिट्टी की संरक्षण व स्वास्थ्य बनाए रखने की शपथ ली जाती है। दिन प्रतिदिन मृदा क्षरण के कारण पोषक तत्व की कमी हो रही है। इससे फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में कमी आई है। मृदा को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मेड़बंदी, पौधारोपण, जैविक खेती, वर्षा जल संरक्षण इत्यादि उपायों से मिट्टी के बहाव को रोका जाए।
इसको लेकर किसानों एवं आम नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के लिए भारत के सभी कृषि विज्ञान केंद्र में मृदा स्वास्थ्य विषय पर प्रशिक्षण, गोष्ठी, परिचर्चा, प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया जा रहा है। डा. विनोद कुमार ने किसानों से आग्रह किया कि मानसून के पूर्व मेड़बंदी एवं समतलीकरण के बाद ही कृषि कार्य शुरू करें। यदि ढलान भूमि है तो ढलान के विपरीत दिशा कतार बनाकर फसलों की बुआई करें। जमीन के 15 सेंटीमीटर के गहराई तक प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं। पानी के बहाव के कारण यह पोषक तत्व बहकर नदी, नालों में चली जाती है। जिसे रोकना अति आवश्यक है। आज के दौर में खेती में जैविक खादों का उपयोग कर मृदा की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है। इस मौके पर केवीके के राहुल भट्टाचार्य के अन्य उपस्थित थे।