सुरक्षा कवच मजबूत हुई तो नक्सलियों ने छोड़ दिया इलाका
गणेश पांडेय पाकुड़ जिले के अमड़पाड़ा और लिट्टीपाड़ा घोर नक्सली इलाके में शुमार रह
गणेश पांडेय, पाकुड़ : जिले के अमड़पाड़ा और लिट्टीपाड़ा घोर नक्सली इलाके में शुमार रहा है। नक्सलियों ने सबसे अधिक अमड़ापाड़ा में तांडव मचाया था। वर्ष 2000 से 2011 के बीच नक्सली वारदातों की बड़ी-बड़ी घटनाएं हुई। उस समय नक्सलियों ने कई दिल दहलाने वाली घटनाओं को अंजाम दिया था लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों से नक्सली गतिविधि बिल्कुल कम हो गई है। सुरक्षा कवच मजबूत होने के कारण नक्सलियों ने धीरे-धीरे इलाका ही छोड़ दिया। वर्तमान में पुलिस नक्सलियों से निपटने के लिए सक्षम हैं। आधुनिकता से लैस पुलिस नक्सली इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। सामुदायिक पुलिसिग के तहत नक्सल प्रभावित इलाके में फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। वर्तमान में नक्सल प्रभावित इलाके में गरीबों के बीच कंबल वितरण भी किया जा रहा है। प्रभावित इलाके के युवाओं से अपील की गई है कि नक्सली गतिविधि की जानकारी पुलिस को अवश्य दें। युवाओं के जागरूक होने से भी नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। फिलहाल इलाका शांत है।
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वर्ष 2000 में शुरू हुई थी सुगबुगाहट : अमड़ापाड़ा में कोल ब्लाक खुलने के बाद वर्ष 2000 में नक्सलियों के आने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। उस समय पुलिस को नक्सलियों के आने-जाने, बैठक करने की सूचना लगातार मिल रही थी। वर्ष 2002 के आसपास पहली बार आलूबेड़ा में नक्सलियों ने डंपर में आग लगाने की घटना को अंजाम देकर दहशत फैला दिया था। कोयला उत्खनन के साथ-साथ नक्सली गतिविधियां भी बढ़ती गई। नक्सलियों ने अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र में ही एक साथ 26 डंपर को आग के हवाले कर दिया था। नक्सलियों ने एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देता चला गया।
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नक्सलियों ने कर दी थी पैनम निदेशक की हत्या : नक्सलियों ने पैनम कोल माइंस के अंदर पुलिस कैंप पर भी हमला कर दिया था। नक्सलियों ने पैनम के सुरक्षा कर्मी प्रमोद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद वर्ष 2009 में पैनम कोल माइंस के निदेशक डी शरण की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद इलाके में दहशत फैल गया। नक्सलियों का आतंक यहीं खत्म नहीं हुआ। नक्सलियों ने वर्ष 2011 में सिस्टर बालसा जान की भी निर्मम हत्या कर दी थी। नक्सलियों ने घटना स्थल पर नक्सली पोस्टर छोड़कर दहशत फैलाने की कोशिश की थी।
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एसपी अमरजीत बलिहार के काफिले पर किया था हमला : दो जुलाई 2013 को दुमका से पाकुड़ लौटने के दौरान काठीकुंड के नजदीक आमतल्ला के पास नक्सलियों ने तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार पर हमला कर दिया था। इसमें एसपी अमरजीत सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीद होने वाले में एसपी समेत उनके अंगरक्षक चंदन थापा, वीरेंद्र श्रीवास्तव, मनोज हेम्ब्रम, राजीव कुमार शर्मा, संतोष मंडल शामिल हैं।
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सुरक्षा के क्षेत्र में हो रही प्रगति : पुलिस अधीक्षक हृदीप पी जनार्दनन ने बताया कि पाकुड़ पुलिस आम जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। नक्सल प्रभावित इलाके में सूचना तंत्र मजबूत करने का प्रयास चल रहा है। ग्रामीण पुलिस (चौकीदार) को सक्रिय करने के लिए पुलिस पहल कर रही है। आम जनता से बेहतर संबंध स्थापित करने की दिशा में पहल हो रही है। नक्सल प्रभावित लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा के जंगलों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। युवाओं के बीच फुटबाल, जर्सी आदि का वितरण किया जा रहा है। नक्सल प्रभावित इलाके के ग्रामीणों से अपील किया गया है कि किसी भी प्रकार की अपराधिक गतिविधि की जानकारी पुलिस को अवश्य दें। पुलिस प्रशासन का मानना है कि सामुदायिक पुलिसिग के कारण ही अपराध पर अंकुश लगा है। लोग सुरक्षित हैं।