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काम आया गांव का बैंक, दुख में बना साथी

लोहरदगा में ग्रामीण बैंक साथ निभा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 09:25 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:21 AM (IST)
काम आया गांव का बैंक, दुख में बना साथी
काम आया गांव का बैंक, दुख में बना साथी

राकेश सिन्हा/विक्रम चौहान, लोहरदगा : लॉकडाउन के दौरान तमाम आर्थिक गतिविधियां बंद पड़ गई थीं। ऐसे में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए घर चलाना भी मुश्किल हो गया था। किसी को अपने घर की मरम्मत के लिए पैसे की जरूरत थी तो किसी को बीमारी के इलाज के लिए पैसे चाहिए थे। खेती करने और घर खर्च के लिए भी पैसे का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। ऐसे में काम आया तो अपने गांव का बैंक। गांव का बैंक कहने का अर्थ महिला मंडल समूह के बचत बैंक से है। महिला मंडल के बैंक के माध्यम से महिला सदस्यों को उनकी आवश्यकता के अनुसार छोटी रकम से लेकर पच्चास हजार रूपए तक का ऋण उन्हें मिला है। कितने एसएचजी समूह हैं संचालित

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जिले में जेएसएलपीएस के माध्यम से 5175 महिला मंडल समूह का संचालन हो रहा है। इसके अलावा विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों और सरकार के स्तर से भी महिला मंडल का गठन कर उसका संचालन किया जा रहा है। जिले के भंडरा प्रखंड में 751 महिला समूह हैं। लॉकडाउन घोषित होने से पहले 751 महिला समूह के बीच 1 करोड़ 60 लाख राशि का वितरण किया गया था। जिसके बाद 22 मार्च 2020 से अबतक बचे 76 लाख रुपये अनुमानित रूप से वितरण सदस्यों के बीच किया गया है। कुडू प्रखंड में कुल महिला मंडल समूह की संख्या 1063 है। जिसमें लॉक डाउन में सदस्यों के बीच कुल 1.5 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया गया। कैरो प्रखंड में कुल 515 एसएचजी समूह हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रखंड के एसएचजी समूह द्वारा अनुमानित 20 लाख रुपए ऋण बांटा गया है। सेन्हा प्रखंड में महिला संगठन से अनुमानित रूप से 25 लाख रूपए का ऋण वितरण महिला समूह के बीच आपस में किया गया है। सेन्हा प्रखंड में 869 महिला मंडल कार्यरत हैं। इसके अलावे सदर प्रखंड, किस्को प्रखंड और पेशरार प्रखंड के महिला समूह के सदस्यों ने भी ऋण का वितरण किया गया। कैसे काम करते हैं महिला मंडल

लोहरदगा : महिला मंडल समूह के सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार हर सप्ताह बचत भी करते हैं। यह बचत 20 रूपए से लेकर अधिकतम दो सौ रूपए तक होती है। इस जमा पूंजी को आवश्यकता अनुसार महिला मंडल के सदस्य आपस में ऋण के रूप में लेते हैं। जिन्हें काफी कम ब्याज मूलधन के बदले देना पड़ता है। केस स्टडी -1

भंडरा प्रखंड के कुम्हरिया गांव स्थित चंद्रमुखी आजीविका स्वयं सहायता समूह कुम्हरिया समूह की गीता देवी को लॉकडाउन के दौरान घर की आर्थिक स्थिति खराब देखते हुए परिवार चलाने की लिए 20 हजार रुपए ऋण मुहैया कराया गया है। यह ऋण मिलने से गीता को काफी राहत मिली है। इस पहल से महिला मंडल सदस्य को राहत मिली है। उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करने से मुक्ति मिली।

केस स्टडी- 2

कुडू प्रखंड के ज्योति महिला मंडल टाकू पतराटोली द्वारा समूह की सदस्य की दसिया उरांव को घर की मरम्मत के लिए 20 हजार रूपए का ऋण दिया गया। जिससे उन्हें काफी राहत मिली है। घर की मरम्मत नहीं हो पाने के कारण दसिया को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। समय से ऋण मिलने से काफी राहत मिली है।

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क्या कहते की एसएचजी समूह के पदाधिकारी

लोहरदगा : कैरो प्रखंड के सूर्या महिला मंडल की सचिव जयफलिता लकड़ा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमारे समूह से कुल 45 हजार का ऋण लोगों को खेती-बारी सहित अन्य कार्यों के लिए दिया गया है। लोगों की बड़ी आवश्यकता पूरी हुई है। सेन्हा प्रखंड के खुश्बू महिला मंडल की अध्यक्ष बसंती उरांव ने बताया कि खुश्बू महिला मंडल से प्रमिला देवी ने 10 हजार रुपए खेती के लिए ऋण लिया है। समूह अपने सदस्यों की परेशानी के समय राहत देने का काम करता है।


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