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कुपोषित बच्चों के चेहरे पर लौट रही मुस्कान

कुपोषण बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना रहा था। अब पहल के बाद अच्छा हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 10:37 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 10:37 PM (IST)
कुपोषित बच्चों के चेहरे पर लौट रही मुस्कान
कुपोषित बच्चों के चेहरे पर लौट रही मुस्कान

राजेश प्रसाद गुप्ता, भंडरा (लोहरदगा) : कुपोषण बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना रहा था। ऐसे में सरकार की एक पहल से कुपोषित बच्चों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटने लगी है। लोहरदगा जिले के भंडरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित कुपोषण उपचार केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। भंडरा कुपोषण उपचार केंद्र से जिले के भंडरा, सेन्हा व लोहरदगा प्रखंड के कुपोषित बच्चों को लाभ मिल रहा है। जनवरी 2020 से अब तक 63 कुपोषित बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। भंडरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 14 अप्रैल 2010 में कुपोषण उपचार केंद्र की शुरुआत किया गया था। जिसमें अबतक 1061 कुपोषित बच्चे कुपोषण को मात देकर ठीक हो चुके हैं।

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क्या कहती हैं माताएं

अपने कुपोषित बच्चे के साथ भंडरा कुपोषण केंद्र पहुंची सेन्हा प्रखंड के गोबरसिला गांव निवासी तारामुनी उरांव का कहना है कि 15 दिन पूर्व अपने बच्चे के साथ कुपोषण उपचार केंद्र पहुंची थी। उस समय बच्चा काफी सुस्त और उसका एमयूसी माप कम था, परंतु 15 दिनों में ही बच्चे में काफी सुधार हुआ है। पहले बच्चा चल भी नहीं पाता था, पर अब बच्चे में आए बदलाव से काफी खुश हैं। कुंदो गांव से पहुंची रीता देवी ने कहा की कुपोषण केंद्र में नियमित पोषाहार व पीने के लिए गर्म पानी और दूध दिया जाता है। इससे बच्चे के स्वास्थ्य में प्रभाव देखने को मिला है। बच्चा का वजन भी पहले की तुलना में बढ़ा है।

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क्या कहते हैं कुपोषण उपचार केंद्र प्रभारी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भंडरा में 14 अप्रैल 2010 से संचालित कुपोषण उपचार केंद्र की प्रभारी जीएनएम मोनिका मरांडी का कहना है कि कुपोषण केंद्र में पहुंचने वाले कुपोषित बच्चों के सबसे पहले भूख की जांच की जाती है। इसके बाद उन्हें ग्रेडिग दी जाती है। बच्चों को ग्रेड दिए जाने के बाद उन्हें उसी मात्रा में पोषक तत्व से बना पोषाहार दिया जाता है। पोषाहार में दूध के साथ चीनी पाउडर, चावल पानी का घोल दिया जाता है। कुपोषित बच्चों को एफ-75 व एफ-100 के अनुसार पोषक दिया जाता है। जिसमें कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम होता है। बच्चों का ग्रेडिग एसडी (-1), एसडी (-2) व एसडी (-3) के रूप में किया जाता है। साथ ही रोजाना बच्चों का वजन व प्रत्येक सप्ताह एमयूसी माप की जाती है। साथ ही उन्होंने बताया की 15 दिनों के लिए बच्चों को कुपोषण केंद्र में रखा जाता है। अब तक शत-प्रतिशत कुपोषित बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।

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क्या कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी

भंडरा प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर निरुपमा कुमारी का कहना है की कुपोषण केंद्र में पहुंचने वाले बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत पूरा सुविधा दी जाती है। बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। बच्चों को खेलने व मनोरंजन के लिए टीवी की भी व्यवस्था की गई है।


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