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जनजातीय समाज का शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे : कृपा सिंह

वनवासी कल्याण आश्रम का स्थापना दिवस समारोह शनिवार को वनवासी कल्याण केंद्र में मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 10:19 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 10:19 PM (IST)
जनजातीय समाज का शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे : कृपा सिंह
जनजातीय समाज का शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे : कृपा सिंह

जागरण संवाददाता, लोहरदगा : वनवासी कल्याण आश्रम का स्थापना दिवस समारोह शनिवार को वनवासी कल्याण केंद्र परिसर में किया गया। जिसका शुभारंभ शांति आश्रम के आचार्यों ने यज्ञ-पूजन के साथ किया। मौके पर आगत अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर स्थापना दिवस समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत, मनमोहक घोड़ा नृत्य, जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति की गई। साथ ही अतिथियों को शाल ओढ़ाकर कर सम्मानित करते हुए हौसला बढ़ाया गया। कार्यक्रम में शामिल हुए गांव के पाहन-पुजार एवं जनजातीय समाज के लगभग 40 प्रमुखों को शाल एवं पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया। बनवासी कल्याण आश्रम के प्रारंभ काल की प्रस्तावना राघव राणा ने प्रस्तुत किया। मौके पर बतौर मुख्य अतिथि वनवासी कल्याण केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह ने संपूर्ण देश भर में 21 हजार चल रहे सेवा कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश भर में जनजाति निवास करते हैं। समाज के हजारों युवा सेवा कार्य में लगे हुए हैं। यदि आज जनजातीय समाज को किसी व्यक्ति द्वारा तोड़-फोड़ करने का प्रयास किया गया तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसी की भाषा में समझा दिया जाएगा। वहीं जिला के बेल पड़हा व्यवस्था नारायण भगत ने वनवासी समाज के इतिहास, धर्म-संस्कृति की सुरक्षा के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जो संस्था धर्म-संस्कृति की रक्षा करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरण, खेलकूद, ग्राम विकास के हजारों प्रकल्प चल रहा है। उसी पर उंगली उठती है। विदेशी आक्रमण कारी जो धर्मांतरण एवं संस्कृति परंपरा को नष्ट कर रहे हैं, उस पर किसी की अंगुली नहीं उठती है। हमें सचेत रहने की आवश्यकता है। वनवासी कल्याण आश्रम के जिला संयोजक श्यामसुंदर उरांव ने कल्याण आश्रम के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था धर्म-संस्कृति की सुरक्षा के लिए यह प्रारंभ से लेकर आज तक संकल्पित है। बीएस कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर कंजीव लोचन ने रामायण का उदाहरण देते हुए शबरी माता एवं हनुमान के श्रीराम और सीता के प्रति प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इन प्रसंगों को जनजातीय भाषा में लिखने की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर लोहरदगा महिला थाना प्रभारी शीतल कुमारी सिंह ने महिलाओं के ऊपर हो रहे उत्पीड़न के बारे में चिता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वयं एवं परिवार को आत्म सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेनी चाहिए। विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य रमेश कुमार उपाध्याय ने संस्कारित शिक्षा की बच्चों के लिए सर्वाधिक महत्ता पर विशेष जोर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक सच्चिदानंद लाल ने जनजातीय समाज से आह्वान किया है कि आज हमें बाहरी शक्तियों से सचेत रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में जनजातीय समाज व नगर समिति तथा सम विचारी संगठन की लगभग 250 प्रमुख कार्यकर्ता, पाहन पुजार शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन नगर सचिव अरुण राम एवं धन्यवाद ज्ञापन नगर समिति के सहसचिव अजय पंकज द्वारा किया गया। विद्या मंदिर के बच्चों द्वारा वंदे मातरम गीत प्रस्तुत किया गया। सभा में जिला सचिव उमाकांत लाल, लोहरा समाज के प्रमुख सुरेश लोहरा, जनजाति मंच के भीखा उरांव, भाजपा के जिला अध्यक्ष मनीर उरांव, जिला पार्षद सामेला उरांव, शिवनाथ भगत, राजेश्वर उरांव, गुनीराम उरांव, रामजी उरांव, अस्पताल समिति के अध्यक्ष बैजनाथ मिश्रा, सचिव परमेश्वर साहू, विनोद राय, सीताराम शर्मा, शिव शंकर सिंह, विष्णु दत्त पांडे, डॉ. नंदा प्रसाद सिंह, मधुबाला, चांदमुनि कुमारी, कौशल्या कुमारी, विद्या मंदिर के आचार्य आदि एवं प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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