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बेटियां सवार रहीं गांव का कल

गांव ही नहीं देश के आने वाले कल को संवारने का काम

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 07:36 PM (IST)
बेटियां सवार रहीं गांव का कल

शम्भू प्रसाद सोनी, कैरो (लोहरदगा) : गांव ही नहीं देश के आने वाले कल को संवारने का काम गांव की बेटियां ही कर रही हैं। पहले खुद शिक्षित हुईं, अब गांव के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने और उनके सुनहरे कल के लिए बच्चों को निश्शुल्क रूप से शिक्षा देने में गांव की बेटियां बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं। ऐसा लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड में हो रहा है। लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड अंतर्गत चाल्हो गांव में बच्चों को शिक्षित करने के लिए गांव की युवतियां निश्शुल्क रात्रि पाठशाला चला रही हैं। लाकडाउन के बाद छोटे बच्चों की पढ़ाई विगत दो वर्षों से बाधित है, जिसे देखते हुए गांव में निर्णय लिया गया कि बच्चों को गांव के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों शिक्षा देंगे। गांव के लगभग 100 बच्चों को युवक-युवतियों द्वारा शाम में अलग-अलग शिफ्ट बनाकर सामुदायिक भवन में दो से तीन घंटे पठन-पाठन कार्य कराया जाता है। बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने में गांव के प्रबुद्धजनों की अहम भूमिका है। जिसमें मुख्य रूप से मंगल उरांव व सेवानिर्वित शिक्षक हरण लकड़ा की भूमिका है। विद्यालय बंद होने के बाद से बच्चे पढ़ाई में बिल्कुल रुचि नहीं दिखा रहे थे। जिसके बाद गांव के प्रबुद्धजनों द्वारा फैसला लिया गया कि बच्चों को हर हाल में शिक्षा देना है। चाल्हो गांव स्थित सामुदायिक भवन में बारी-बारी से गांव की शिक्षित युवतियां बच्चों को शाम में पढ़ाती हैं। गांव के लगभग 100 बच्चे रात्रि पाठशाला में पढ़ते हैं। जिन्हें पढ़ाने के लिए गांव की शिक्षित युवतियां एल्फा लकड़ा व ममता कुमारी का भरपूर सहयोग है। एल्फा लकड़ा बताती है कि वे स्नातक की पढ़ाई कर चुकी है साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही है। रात्रि पाठशाला की कैसे हुई शुरुआत

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कैरो (लोहरदगा) : कैरो प्रखंड के आदिवास बहुल गांव चाल्हो में एल्फा लकड़ा व ममता कुमारी बारी-बारी से छोटे बच्चों को रात्रि पाठशाला में पढ़ाती हैं। एल्फा बताती हैं कि आज से एक वर्ष पूर्व वो गांव की मुहल्लों में घूम रही थी, तभी उसकी नजर छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ी। जिसके बाद बच्चों से उन्होंने पूछा कि विद्यालय बंद है ऐसे में पढ़ाई कैसे कर रहे हो। तभी बच्चों ने बताया कि वे कभी-कभार घर में पढ़ते हैं। जिसके बाद एल्फा ने गांव के बिद्धिजीवी लोगों से सहयोग मांगा और फिर रात्रि पाठशाला शुरू कर दिया। रात्रि पाठशाला में सेवानिवृत शिक्षक सहित अन्य लोगों का है सहयोग

कैरो (लोहरदगा) : कैरो के चाल्हो गांव में प्रतिदिन दो से तीन घंटे रात्रि पाठशाला का संचालन किया जाता है। जिसमें गांव की शिक्षित युवतियां लगभग 100 बच्चों को पढ़ाती हैं। रात्रि पाठशाला शुरू करने में गांव के सेवानिवृत शिक्षक हरण दास लकड़ा व मंगल उरांव की मुख्य भूमिका है। इसके अलावे गांव के अन्य प्रबुद्धजनों का भी रात्रि पाठशाला संचालन में सहयोग है। बच्चों को पढ़ाने वाली शिक्षिकाएं निस्वार्थ भाव से बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही हैं। अगर कोई अभिभावक खुशी से कुछ राशि शिक्षिकाओं को दे देते हैं तभी वे लेते हैं। सप्ताह में छह दिन संचालित होती है रात्रि पाठशाला

कैरो (लोहरदगा) : कैरो प्रखंड के चाल्हो में संचालित रात्रि पाठशाला में लगभग 100 बच्चों को गांव की शिक्षित युवतियां निश्शुल्क शिक्षा देती हैं। रात्रि पाठशाला की शुरुआत लाकडाउन के बाद विगत रक वर्ष पूर्व की गई है। जिसमें गांव के शिक्षित युवतियां सप्ताह में छह दिन देर शाम दो-तीन घंटे बच्चों को पठन-पाठन कार्य कराती हैं। पाठशाला में हिदी, गणित अंग्रेजी विषय की पढ़ाई बच्चों को कराया जाता है। गांव की शिक्षित युवतियों द्वारा इस तरह की पहल करने से क्षेत्र में उनका काफी चर्चा किया जाता है।


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