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प्राचीन संस्कृति को अपनाने की जरूरत : शरतचंद्र

लोहरदगा : प्राचीन काल से ही भारत संस्कृति एवं सभ्यताओं का देश रहा है। युवाओं को अपनी प्राचीन संस्कृत

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 08:35 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 08:35 PM (IST)
प्राचीन संस्कृति को अपनाने की जरूरत : शरतचंद्र
प्राचीन संस्कृति को अपनाने की जरूरत : शरतचंद्र

लोहरदगा : प्राचीन काल से ही भारत संस्कृति एवं सभ्यताओं का देश रहा है। युवाओं को अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को अपनाने की जरूरत है। विद्यार्थियों को चरित्रवान होना बेहद जरूरी है, तभी वे अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। उक्त बातें मंगलवार को गुरुकुल शांति आश्रम के आचार्य शरतचंद्र आर्य ने कही। वे युवा चरित्र निर्माण शिविर को संबोधित कर रहे थे। शरतचंद्र आर्य ने कहा कि विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति होनी चाहिए। साथ ही सफल व्यक्तित्व का होना भी जरूरी है। हम सशक्त रहेंगे तभी राष्ट्र भी सशक्त हो सकता है। विश्व में सबसे ज्यादा युवाओं का देश भारत है। इसलिए युवाओं को राष्ट्र भक्त होना जरूरी है। प्रशिक्षण शिविर में बौद्धिक कक्षाओं को डा. जितेंद्र मेहर, गणेश कुमार शस्त्री ने भी संबोधित किया। डा. जितेंद्र मेहर की अगुवाई में हवन भी किया गया। मौके पर संतोष नैष्ठिक, महादेव आर्य, नूतन आर्य, देव आर्य, अर्जुन देव आर्य, दीपक आर्य, सीताराम आर्य, ओंकार आर्य, योगेंद्र आर्य, योगेश प्रजापति, अभय भारती आदि मौजूद थे।

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