प्लास्टिक पर प्रतिबंध, विकल्प की तलाश
जागरण अभियान प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर विकल्प की तलाश
प्लास्टिक पर प्रतिबंध, विकल्प की तलाश
विक्रम चौहान, लोहरदगा : प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद अब विकल्प की तलाश की जा रही है। लोगों को पहले प्लास्टिक कैरी बैग, प्लास्टिक प्लेट, कप, ग्लास, चम्मच आदि की आदत लग चुकी थी, ऐसे में अब लोगों की परेशानी तो बढ़ी ही है। लोगों के लिए अब पुराने और देशी तरीकों को अपनाने को लेकर आगे आना ही वर्तमान में एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है। दुकानदारों, ग्राहकों को स्ट्रा, कैंडी, प्लास्टिक के बर्तन, प्लेट, चम्मच, पैकेजिंग और साज-सज्जा में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के विकल्प नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि विगत दो दिनों के दौरान फिर एक बार दोना-पत्तल, पेपर प्लेट की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। फिर भी अब तक कैरी बैग, चम्मच और प्लास्टिक ग्लास का विकल्प नहीं मिल पा रहा है। लोग दोना-पत्तल की ओर मुड़ते हुए नजर आ रहे हैं। पहले इनकी मांग काफी सीमित थी, अब यह मांग प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद बढ़ चुकी है। लोहरदगा शहरी क्षेत्र के ईस्ट गोला रोड में कई लोग दोना-पत्तल का कारोबार करते हैं। इनके लिए व्यापार को नए सिरे से स्थापित करने का एक बेहतर मौका मिल चुका है। लोहरदगा जिले में दुकानदारों की परेशानी यह है कि आधा किलो, एक किलो, दो किलो, पांच किलो सामान बेचने के लिए कोई विकल्प नहीं है। ग्राहक सीधे तौर पर कहते हैं कि यह दुकानदारों की परेशानी है कि वह सामान कैसे देंगे। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहकों को समझाना मुश्किल है। घी, चिनी, गुड़ आदि सामान ऐसे हैं कि उसे किसी दूसरी चीज में देना संभव नहीं है। पहले लोहरदगा में दोना-पत्तल की मांग थी, परंतु बहुत अधिक नहीं थी, अब लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है। लोग अपने घरों में मजबूरी में पेपर और दोना-पत्तल का ही उपयोग करेंगे। मजबूरी यह भी है कि लोगों को प्लास्टिक ग्लास का कोई विकल्प नहीं मिल पा रहा है। कुलहड़ और पेपर ग्लास को प्रभावी बनाने को लेकर भी लोगों को अपनी आदत में शामिल करना होगा। लोगों की जागरूकता के बिना प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। देखने वाली बात यह भी है कि दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान में थैला रखना शुरु कर दिया है। जिसके लिए पांच-सात रुपये लिए भी जा रहे हैं। फिर भी ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहक दुकानदारों को ज्यादा परेशान कर रहे हैं। दुकानदार चाहते हैं कि लोगों को जागरूक करने को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। मामले में चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष अभय अग्रवाल का कहना है कि लोगों को जागरूक करना होगा। लोगों के साथ-साथ प्रशासन को भी विकल्प की जानकारी देनी चाहिए। जब तक लोगों के पास विकल्प नहीं होगा, तब तक प्लास्टिक पर पूरी तरह से रोक संभव नहीं है।