चंदवा में विशु सेंदरा का आयोजन
चंदवा प्रकृति की गोद में बसे बोरसीदाग गांव के जंगल में तीन दिवसीय विशु सेंदरा का आयोजन किय
चंदवा : प्रकृति की गोद में बसे बोरसीदाग गांव के जंगल में तीन दिवसीय विशु सेंदरा का आयोजन किया गया। पाहन द्वारा पारंपरिक रूप से प्रकृति की पूजा अर्चना में पड़हा परिषद के पदाधिकारियों, सदस्यों व समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। इसके बाद सेंदरा खेला गया। पड़हा के इतिहास पर चर्चा करते बतौर मुख्य अतिथि पूर्व लोहरदगा विधायक सधनु भगत ने कहा कि पड़हा आदिवासी समाज लोकतंत्र का जन्मदाता है। देश की आजादी में भी समाज की भूमिका रही थी। तब समाज का अपना धर्मकोड था। आजादी के बाद हुए लोकतंत्र के चुनावों में समाज ने महती भूमिका निभाई लेकिन विभिन्न सत्तारूढ़ दलों ने समाज को छलने का काम किया। आदिवासी समाज द्वारा धर्मकोड की मांग वर्षाें से की जाती रही है लेकिन एक षडयंत्र के तहत सरकर इस मुद्दे पर टाल-मटोल कर रही है। बिनोद भगत ने कहा कि झारखंड सरकार की आदिवासी विरोधी नीति के कारण बाढ़ की तरह बाहरी लोग यहां आकर स्थानीय लोगों का हक छीन रहे हैं। उनकी जमीन हड़प रहे हैं। प्रखंड प्रमुख सह आदिवासी नेता नवाहिर उरांव, रंथु उरांव (लातेहार), मंगरा उरांव (जिगी) समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। मौके पर योगेश मुंडा, विरेन्द्र लोहरा, बबलु मुंडा, सुमन उरांव, ईश्वर उरांव, रामदयाल उरांव समेत लोहरदगा, गुमला, रांची समेत विभिन्न जिलों से आए पड़हा समाज के सदस्य मौजूद थे।