आदिवासी देश की संस्कृति का हिस्सा
संवाद सूत्र चंदवा (लातेहार) सरना धर्म कोड लागु करने की मांग को लेकर सरना धर्मावलंबियों द्वा
संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार): सरना धर्म कोड लागु करने की मांग को लेकर सरना धर्मावलंबियों द्वारा रैली निकाली गई। शहर भ्रमण के दोरान रैली प्रखंड मुख्यालय पहुंची। मौके पर नेता विकास भगत, सुरेश कुमार उरांव आदि वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी देश की अभिन्न संस्कृति का हिस्सा हैं लेकिन अबतक उन्हें उनका हक और अधिकार नहीं मिला। वर्तमान समय तक इनकी कोई पहचान नहीं बनी है। कहने को तो भारत के संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त है मगर ऐसा प्रतीत नहीं होता। देश में सरना धर्म मानने वालों की जनसंख्या 10 करोड़ से अधिक है बावजूद भी सरना धर्मावलंबियों को अपनी धर्म की रक्षा को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा है। साजिश के तहत सरना धर्म, परंपरा और संस्कृति को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 2021 में होने वाले जनगणना प्रपत्र में सरना धर्मावलंबियों के लिए अलग से कॉलम की बात कही। रामजीत उरांव, राजीव कुमार उरांव समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार सरना धर्म कोड विधानसभा से पारित कर केन्द्र सरकार को भेजे ताकि सरना समाज एवं आदिवासी समाज को उनकी धार्मिक पहचान मिल सके। सरना धर्मावलंबियों की समस्याओं पर चर्चा करते आगामी जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कॉलम को अनिवार्य रूप से शामिल करने की मांग की। इस दौरानं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार से सरना धर्म कोड का बिल सदन से पास कराकर केन्द्र को भेजने, राज्य में सरना धर्म बोर्ड की स्थापना के लिए शीघ्र ही समुचित कदम उठाने, सरना धर्म बोर्ड को अलग से बजट आवंटित किए जाने का आग्रह भी किया गया। रेली में शामिल लोगों ने सरना कोड लागु करो, सरना कोड नही ंतो वोट नहीं, आदिवासियों की उपेक्षा बंद करो समेत अन्य नारे लगाए। बीडीओ अरविद कुमार और पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी मदन कुमार शर्मा को सरना कोड लागु करने से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया। मौके पर दिनेश उरांव, उमेश उरांव, पिटु उरांव, बलराम उरांव, देवनाथ उरांव, श्यामलाल उरांव, सुरेश उरांव, लालमोहन उरांव, सुरेश उरांव, मनोज महली, मुनीयां देवी, रंकी देवी, चिलो देवी, मुनु देवी, मुनियां देवी, मुनेशरी देवी, सुमंती देवी, पानो देवी, गीता उरांव, हीरामनी देवी, नरेश उरांव, बलराम उरांव, उमेश उरांव समेत प्रखंड के विभिन्न गांवों के सरना धर्मावलंबी मौजूद थे।