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हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता..

संवाद सूत्र हेरहंज (लातेहार) हरि अनंत हरि कथा अनंता कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता। र

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:14 PM (IST)
हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता..
हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता..

संवाद सूत्र, हेरहंज (लातेहार) : हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहि सुनहि बहुबिधि सब संता। रामचंद्र के चरित सुहाए, कलप कोटि लगि जाहि न गाए.। ऐसे कई भावपूर्ण भजनों से गुरूवार को गूंज रहा था हेरहंज प्रखंड। अवसर था श्रीहनुमंत प्राण प्रतिष्ठा व श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ के तीसरे दिन गुरूवार को यज्ञशाला में पूजन का। महायज्ञ में तीसरे दिन का शुभारंभ योगासन और ध्यान के विशेष सत्र के साथ किया गया। इसके बाद पूजन कार्य पूर्ण कर संतों ने प्रवचनों के माध्यम से उपस्थित भक्तों का मार्गदर्शन किया। इस मौके पर महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष संतोष यादव, रंजीत जायसवाल, रूपेंद्र जायसवाल, विजय शंकर, छोटू जायसवाल, मनु गुप्ता, नितेश जायसवाल, पीकू गुप्ता, संदीप साहू व मुरली प्रसाद समेत कई लोग मौजूद थे।

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हमारा धर्म आतंकी नहीं बनाता हम प्रेम के प्रचारक : सुनीता

श्रीहनुमंत प्राण प्रतिष्ठा व श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ के तीसरे दिन गुरूवार को वाराणसी से आई मानस माधुरी सुनीता ने प्रवचन करते हुए कहा कि हमारे समाज में दो तरह के प्राणी होते हैं। एक भटके हुए और एक सजग। सजग आदमी भटके हुए से प्रेरणा लेकर ज्ञान हासिल कर सकता है, लेकिन भटका हुआ व्यक्ति सजग व्यक्ति के जीवन से प्रेरणा नहीं ले पाता। लिहाजा सजग लोगों को इन भटके हुए लोगों को सही मार्ग पर लाने की जरूरत है। पूरे विश्व में इस समय भटके हुए लोगों का बोलबाला है जोकि इस मानव सभ्यता के दुश्मन बन रहे हैं। भारतीय सोच के अनुसार जब हम मुझमें राम, तुझमें राम, सब में राम का अनुसरण करेंगे तो इससे सामाजिक समानता आएगी। भारतीय चितन के इस विधा को उपनिषद कहता है कि जो अपनी आत्मा सब में देखता है और सब में अपनी आत्मा को देखता है, वह किसी से ईष्र्या नहीं करता। उन्होंने कहा कि विश्व में जितने भी धर्म हैं वह सभी हमारे धर्म ग्रंथों से प्रेरित हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि वह अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताने में लगे हुए हैं। जबकि हमारी भारतीय सोच विश्व का उद्धार कर सकती है, आप सभी को इस भारतीय चितन का प्रचार करना होगा। क्योंकि हमारा धर्म आतंकी नहीं बनाता हम प्रेम के प्रचारक हैं। सबका सम्मान और सबके कल्याण हेतु ईश्वर की अराधना करना ही हमारा मूल कर्तव्य है।


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