पलायन और प्रदूषण ही आता है लातेहार के हिस्से
उत्कर्ष पाडेय लातेहार लातेहार में न खनिज की कमी है न मजदूर की। लेकिन यहां के हिस्स
उत्कर्ष पाडेय, लातेहार :
लातेहार में न खनिज की कमी है न मजदूर की। लेकिन यहां के हिस्से पलायन और प्रदूषण ही आता है। खनिज और यहां के मजदूरों से देश के शहरों में समृद्धि आती है, लेकिन यहां भूख, गरीबी और पलायन नियति बन चुकी है। कोरोना काल में यहां श्रमिक वापस आए, सरकार और प्रशासन ने लंबे-लंबे दावे किए, लेकिन वे सब कागजी ही साबित हुए। जो आए, उनमें से 60 प्रतिशत से अधिक वापस धंधे की तलाश में चले गए। खनिज से यहां कोई समृद्धि नहीं दिखाई देती। यहां के हिस्से प्रदूषण और बीमारी आती है। यहां के अधिकांश मजदूर मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, गोरखपुर, प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में ईंटों की पथाई करते हैं। एक सप्ताह बाद लातेहार से ईंट भट्ठों पर कोयला पहुंचने लगेगा। तब जाकर शहरों की ईंट पकेगी। यानी, मजदूर भी यहां का और कोयला भी। लातेहार में सस्ता होता है कोयला और ग्रेड भी सही:
जिले में निकलने वाला वाला कोयला अन्य स्थानों की तुलना में प्रति टन की दर में काफी सस्ता होता है। जिसके कारण यहां का कोयला व्यवसायी वर्ग की पहली पसंद है। यहां पाए जाने वाले कोयला का ग्रेड 4000 जीसीबी से लेकर 4500 जीसीबी के बीच होता है, जिससे कोयला को जलाने के बाद आरंभ से अंतिम होने तक ताप में एक समानता बनी रहती है। ताप की सहूलियत के कारण भी छोटे से लेकर बडे़-बड्े प्लांटों में यहां के कोयले की डिमांड अधिक रहती है। कोयले पर आधारित उद्योग लगने से मिलेगा रोजगार:
कोयले की इलाके में प्रचुरता के कारण यदि यहां कोयले पर आधारित उद्योग लगा दिए जाएं तो लोगों को भारी पैमाने पर रोजगार मिल जाएगा। रोजगार नहीं मिलने के कारण दूसरे इलाके में जाने वाले मजदूरों का पलायन भी रूक जाएगा। कारोबार बढ़ने के कारण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। साथ ही झारखंड राज्य के खनिज का स्थानीय स्तर पर ही उपयोग हो जाने के कारण राज्य को राजस्व की प्राप्ति भी हो जाएगी।
60 फीसद मजदूर दोबारा चले गए :
परख नामक स्वयंसेवी संस्था के दीपक कुमार ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए किए गए लाकडाउन के बाद घर जिले के विभिन्न गांवों में अपने घर लौटे मजदूरों में 60 फीसद दोबारा काम पर चले गए। जबकि 40 फीसद मजदूर अपने गांव में रहकर खेती बारी व मजदूरी कर रहे हैं। रूक सकता है पलायन :
बंद पड़े अभिजीत ग्रुप व एस्सार ग्रुप के पावर प्लांट को चालू करने से भारी मात्रा में लोगों को रोजगार मिल जाएगा। इसके साथ ही लातेहार में डालडा फैक्ट्री व चर्मशोधनालय को चालू करने से लोगों को रोजगार के साथ सरकार का राजस्व भी बढ़ जाएगा। जिले में फायर क्ले व क्वाटर््ज की माइंस शुरू होने से लोगों को रोजगार मिल सकता है। इस पर आधारित कई फैक्ट्रियां भी वर्षों से बंद पड़ी हुई हैं, यदि ये चालू हो जाएं तो जिले में पलायन पूरी तरह रुक जाएगा। कोट ::
ग्रामीणों को उनके घर पर ही रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा से विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। जिले के सभी प्रखंडों में विशेष तौर पर प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए खास निर्देश जारी किए गए हैं और इस पर निरंतर कार्य भी हो रहे हैं।
-अबू इमरान, उपायुक्त लातेहार।