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टाना भगतों ने रेलवे ट्रैक किया जाम, आवागमन बाधित

संवाद सूत्र चंदवा (लातेहार) गांधी के सच्चे अनुयायी टाना भगत अपने हक को लेकर एक बार।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 06:15 AM (IST)
टाना भगतों ने रेलवे ट्रैक किया जाम, आवागमन बाधित
टाना भगतों ने रेलवे ट्रैक किया जाम, आवागमन बाधित

संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार):

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गांधी के सच्चे अनुयायी टाना भगत अपने हक को लेकर एक बार फिर सड़क पर उतरे। पहले तो रेलवे ट्रैक जाम किया और फिर चंदवा थाना के सामने एनएच 22 को भी जाम कर दिया। बता दें कि आजादी के बाद से अहिंसक रूप से अपनी जमीन व अन्य मांगों को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं। बुधवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी नीति टाना भगत समुदाय ने अपनी जमीन वापसी, लगानमुक्ति आदि को लेकर टोरी जंक्शन पर प्रदर्शन किया और रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। टाना भगतों ने पहले से ही प्रशासन को चेता दिया था कि किसी भी तरह की क्षति होने पर संबंधित विभाग और अधिकारी ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे। हालांकि इस आंदोलन को लेकर पुलिस प्रशासन भी सजग था और जैसे ही टाना भगत एक-एक कर घरना स्थल पर पहुंचते, पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर थाने ले आती। बाद में जब इसकी सूचना दूसरे टाना भगतों को मिली तो अचानक सैकड़ों टाना भगत चंदवा थाने पहुंच गए और वहां प्रदर्शन किया। टाना भगतों ने कहा कि विचार व्यक्त करने की उनकी आजादी को कोई नहीं छीन सकता। दिन भर पुलिस और टाना भगतों के बीच बातचीत चलती रही और इसी बीच संध्या साढ़े पांच बजे थाना परिसर में वार्ता के बीच ही टाना भगत सुरक्षा घेरे को तोड़कर जुलूस की शक्ल में मुख्य बाजार होते बरकाकाना-बरवाडीह रेलखंड स्थित टोरी जंक्शन के समपार फाटक 12 एटी पहुंच गए और रेल लाइन को जाम कर आवागमन ठप कर दिया। रेलवे पुलिस और टाना भगत के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। समाचार लिखे जाने तक टाना भगत रेलवे लाइन को जाम किए हुए थे। शाम छह बजे थाना के सामने एनएच 22 को भी जाम कर दिया।

बार-बार हो रहे थे उग्र

चंदवा थाने में बातचीत के दौरान कई बार टाना भगत उग्र हुए। रह-रह कर टाना भगत घंटा बजा रहे थे। इधर, प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमण की बात कहने के बावजूद वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। देर शाम समाचार लिखे जाने तक ट्रैक जाम ही रहा। हालांकि अभी इस रुट पर यात्री ट्रेन नहीं चल रही है। चौक-चौराहों पर सुबह से ही तैनात थी पुलिस

टाना भगतों के प्रदर्शन को लेकर सुबह से ही टोरी रेलवे स्टेशन, सुभाष चौक, इंदिरा चौक के अलावा अन्य चौक-चैराहों समेत मुख्य शहर में पुलिस तैनात थी। जैसे ही पुलिस की नजर टाना भगतों पर पड़ती, उन्हें हिरासत में ले लिया जाता। सुभाष चौक पर कई बार ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जिला व स्थानीय पुलिस के साथ टोरी आरपीएफ, आरपीएसएफ भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैनात थी। जो भी पकड़ में आया, उसे थाने स्थित अस्थायी कैंप जेल लाया गया। प्रशिक्षु आईपीएस हरविंदर सिंह, एसडीएम सागर कुमार, एसडीपीओ वीरेंद्र राम, एसडीएम सागर कुमार, जिला पुलिस बल के मेजर सुशांत कुमार, अंचलाधिकारी मुमताज अंसारी पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी मदन कुमार शर्मा, बबलु कुमार (पुनि बालमूाथ), टोरी आरपीएफ इंसपेक्टर केएन तिवारी, एसआई रौशन कुमार समेत जिले के आला अधिकारी और रेल पुलिस की टीम तैनात थी।

ये लिए गए हिरासत में:

जिता ताना भगत, विश्राम टाना भगत (गुमला), राजेश्वर टाना भगत (लोहरदगा), गौड़िया टाना भगत, होमना टाना भगताइन, मानती टाना भगत, सुरेश ताना भगत, धर्मसहाय टाना भगत, हेमन्ती टाना भगत, सुमन्ती टाना भगत, सुकरमणि टाना भगत समेत अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया था। रेल ट्रैक को जाम करने की कोई योजना नहीं: गुमला जिले से चंदवा पहुंचे टाना भगत नेता जिता टाना भगत ने बताया कि रेल ट्रैक जाम करने की उनकी कोई योजना नहीं थी। वास्तव में उन्हें शुक्रबाजार परिसर की बैठक में शामिल होना था लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ थाना ले आई। बैठक का मुद्दा क्या था, पर कहा कि यह तो बैठक में ही तय होता। इतनी जानकारी थी कि पूर्वजों द्वारा दिए गए बलिदान, उनके हक व अधिकार पर चर्चा होनी थी। कहा कि द्वापर, त्रेता, सतयुग और कलियुग चारों युगों में टाना भगतों के पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी। देश की आजादी के बाद कितनी सरकारें आई और गईं मगर टाना भगतों के विकास के लिए कुछ नही किया गया। अब भी अपने हक व अधिकार से वंचित हैं। बताया कि इसमें रांची, पलामू, हजारीबाग, सिंहभूम, मानभूम जिले के लोगों को पहुंचना था।

क्या है मामला:

टाना भगतों ने गांधी के प्रभाव में आकर आजादी के आंदोलन में भाग लिया। ब्रिटिश सरकार ने उनकी जमीनों को नीलाम कर दिया। आजादी से पहले ही उनकी जमीन नीलाम हो गई। अभी तक सभी टाना भगतों को जमीन वापस नहीं दी ग‌र्इ्र। इसी तरह उनकी मांग है कि उनकी जमीन को लगान मुक्त किया जाए। यह पहले से ही व्यवस्था रही है।


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