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रोल-जमीरा-मैक्लुसकीगंज कालीकरण पथ हो पूर्ण

चंदवा पीएमजीएसवाई के तहत-जमीरा होते मैक्लुसकीगंज पीच तक निर्माणाधीन पथ को पूर्ण करने की

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:01 PM (IST)
रोल-जमीरा-मैक्लुसकीगंज कालीकरण पथ हो पूर्ण
रोल-जमीरा-मैक्लुसकीगंज कालीकरण पथ हो पूर्ण

चंदवा : पीएमजीएसवाई के तहत-जमीरा होते मैक्लुसकीगंज पीच तक निर्माणाधीन पथ को पूर्ण करने की गुहार ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई है। ग्रामीणों की मानें तो रोल-जमीरा एवं रेलवे स्टेशन को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है। ग्रामीण सुबोध प्रजापति, हरिवंश प्रजापति, रोहित शाहदेव, उमाशंकर घटवार, विसुन रजवार, पप्पु लोहरा, शंकर प्रजापति, अशेष रजवार, छोटेलाल उरांव, बालदेव प्रजापति, रौशन भगत, पवन उरांव, आशिक उरांव, लालजीत उरांव, मुन्ना उरांव, सूरज उरांव, रतन उरांव, जागेश्वर भगत, बटला मुंडा, सोमरा उरांव, आलोक प्रजापति, मनोज कुमार यादव, राहुल समेत अन्य ने तत्काल पहल करते इसके निर्माण कार्य को पूर्ण करने की अपील प्रशासन से की है। क्या होता लाभ:

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यदि इस पथ का निर्माण हो जाता तो रोल, डुरू, महुआमिलान, छापरटोली, जमीरा आदि गांवों के ग्रामीणों को लाभ मिलता। वो लोग आसानी से गांव से शहर पहुंच जाते। कार्य प्रगति पर था। कुछ दूर तक निर्माण कार्य भी हुआ। इसी बीच दुबी गांव के पास सेवा उरांव, प्रदीप उरांव, और बाबूलाल उरांव ने यह कहते काम रोक दिया कि जमीन रैयती है। इसपर कालीकरण पथ का निर्माण नहीं किया जा सकता। क्या है मामला:

पीएमजीएसवाई के तहत-जमीरा होते मैक्लुसकीगंज पीच (तीन किलोमीटर) तक कालीकरण पथ का निर्माण किया जाना था। साढ़े तीन करोड़ की लागत से कालीकरण पथ निर्माण के निमित जनवरी 2019 में कार्य शुरू हुआ। कुछ दूरी तक सड़क निर्माण का कार्य भी हुआ। दूबी गांव के पास रैयत द्वारा काम रोक दिया। रैयत द्वारा काम रोके जाने के बाद संवेदक, मुखिया व ग्रामीणों ने रैयत से वार्ता करने का प्रयास भी किया मगर उनका प्रयास सिफर साबित हुआ है। इसके बाद ग्रामीण संबंधित विभाग को आवेदन देकर कार्य कराने और ग्रामीणों को राहत दिलाने के लिए भूमि अधिग्रहण कर निर्माण कार्य को पूरा कराने की मांग की है। उपमुखिया की पहल भी हुई बेकार:

काम रोके जाने के बाद संवेदक प्रदीप उपाध्याय ने ग्रामीणों के साथ-साथ प्रभारी मुखिया कविता देवी को मामले की जानकारी दी। गांव में बैठक भी हुई मगर इसका कोई लाभ नहीं हुआ। एक रैयत परिवार द्वारा काम रोके जाने व गांव की समस्या का समाधान नहीं होता देख ग्रामीणों ने अंचल कार्यालय, उपायुक्त कार्यालय व मुख्यमंत्री जनसंवाद को समस्या की जानकारी दी। कहते हैं संवेदक:

संवेदक प्रदीप उपाध्याय ने इस बावत बताया कि काम शुरू करने के पहले सभी ग्रामीणों से सहमति ली गई थी। उस वक्त किसी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की थी। सबके कथनानुसार ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। एक रैयत के विरोध के कारण काम ठप पड़ा है। कहते हैं सीओ: अंचलाधिकारी मुमताज अंसारी ने इस बावत बताया कि जांच के बाद ही यह कह पाना उचित होगा कि भूमि रैयत है अथवा किसी अन्य प्रकार की भूमि। जहां तक सड़क निर्माण की बात है और पूरे गांव को इसका लाभ मिलना है तो रैयत को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए।


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