लाह उत्पादन से किसानों की जिदगी में आएगी बहार
न्नत किस्म की लाह उत्पादन के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड।
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : उन्नत किस्म की लाह उत्पादन के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम रखने वाले लातेहार जिले के ग्रामीण इलाकों में निवास करने वाले किसानों की जिदगी लाह के उत्पादन से बदल सकती है। रोजगार के अभाव और सिचाई साधनों की कमी के कारण कृषि नहीं कर पाने के कारण दूसरे इलाकों में पलायन के लिए मजबूर प्रवासी मजदूर लौटकर अपने गांव आ गए हैं। ऐसे में एक बार फिर किसानों में लाह उत्पादन के प्रति दिलचस्पी देखने को मिल रही है।
लंबे समय तक लाह उत्पादन के लिए अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले रूद, कैलाखाड़, जारम सेमरसोत, तूपी, महुआमिलान, एकमहुआ, बियरजंघा, जीलिग, बालू समेत कई गांव के ग्रामीणों ने बताया कि लाह के उत्पादन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी हद तक सुधर सकती है। किसानों को आमदनी के साथ-साथ रोजगार का एक सशक्त माध्यम बनने में लाह की फसल सहायक है।
लाह से किसानों की हो सकती है आय दोगुनी :
लाह की खेती और व्यवसाय मामलों के जानकार विजय शर्मा का मानना है कि लाह की वैज्ञानिक तरीके से खेती, समुचित प्रशिक्षण से उपज के साथ लाह उत्पादकों की आय दोगुनी होगी। साथ ही लातेहार जिले की पहचान एक बार फिर से बड़े और उन्नत किस्म केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में बन जाएगी। अच्छी किस्म और वृहत पैमाने पर लाह के उत्पादन से बाहर के व्यवसायी भी इलाके में लाह से जुड़े उद्योग और संयंत्र लगाने के लिए आकर्षित होंगे उससे भी काफी मात्रा में लोगों को रोजगार मुहैया हो सकेगा।
कोट ::
लाह की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए विभाग पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसकी खेती से जुड़ी जानकारी भी युवा वर्ग ने बीते एक सप्ताह के दौरान प्राप्त की है।
एके मिश्र, जिला कृषि पदाधिकारी लातेहार।