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नक्सल गांवों में मूंग की खेती से आई हरियाली

लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत सुदूर एवं नक्सल प्रभावित ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 06:46 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 06:46 PM (IST)
नक्सल गांवों में मूंग की खेती से आई हरियाली
नक्सल गांवों में मूंग की खेती से आई हरियाली

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत सुदूर एवं नक्सल प्रभावित गांवों में इन दिनों मूंग की फसल से हरियाली छाई हुई है। जेटीडीएस प्रोजेक्ट के तहत प्रखंड के पांच पंचायत मंगरा, उकामाड़, कुचिला, छिपादोहर और चंगुरू में एक हजार एकड़ भूमि में मूंग की खेती कराई गई है। भारतीय लोक कल्याण संस्थान के प्रखंड समन्वयक संदीप वैद्य की निगरानी और मार्गदर्शन में किसान मूंग की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे हैं। वर्तमान में प्रखंड क्षेत्र के एक हजार एकड़ भूमि पर मूंग की फसल लहलहाती फसल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आर्किषत कर ले रही है। सूखे की मार झेल रहे इलाके में हरियाली :

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सूखे से जूझ रहे जिले में बरवाडीह के गांवों में जाते ही किसानों की खेतों में हरी भरी फसलें देख लोग चौंक जाते हैं। यहां मूंग की फसल लहलहा रही है। जानवरों से फसल बचाने के लिए किसानों ने खेत के चारों तरफ कटीले तार लगा दिए हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने जैविक खाद का प्रयोग किया है। उत्साहित किसानों ने कहा :

रूपेश्वर सिंह ने बताया कि मूंग की खेती पहले क्षेत्र का कोई किसान नहीं करता था। पिछले साल संदीप की प्रेरणा से हिम्मत करके 5 डिसमिल भूमि में मूंग बोई थी। तब जानवरों ने खूब परेशान किया। फसल की सिचाई के लिए भी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बाद में अच्छा मुनाफा मिला। इस साल हमने 50 डिसमिल भूमि में मूंग बोई है, खेत में हरी भरी फसल देखकर खुशी हो रही है। मंगरा गांव निवासी अनुराधा देवी ने बताया कि आसपास के किसानों की देखा देखी हिम्मत करके उसने 50 डिसमिल में मूंग बोई है। फसल देखकर दिल खुश हो जाता है। मूंग की फसल के लिए उसने कई विशेषज्ञों से भी राय ली थी। उसका नतीजा सामने है। मूंग की फसल इलाके में वरदान साबित होगी। क्षेत्र में बीते एक साल से मूंग की फसल के प्रति रुझान बढ़ा है। जैविक खेती की दे रहे सुझाव :

भारतीय लोक कल्याण संस्थान के प्रखंड समन्वयक संदीप वैद्य का कहना है कि मूंग की फसलों की तरफ किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। अच्छी बात ये है कि किसान जैविक खेती की ओर लौट रहे हैं। इलाके में मूंग की फसल बहुत अच्छी हैं, किसानों को मुफ्त सलाह दी जा रही है, साथ ही हेल्पलाइन नंबर पर विशेषज्ञों से वार्ता भी की जाती है। कोट ::

किसानों की ओर से वाकई बहुत अच्छा प्रयास किया गया है। सुदूर गांवों में एक हजार एकड़ भूमि पर मूंग की खेती से निश्चित तौर पर युवा वर्ग खेती से आमदनी प्राप्त करने के लिए प्रेरित होगा। मैं स्वयं इन गांवों में किसानों का उत्साह बढ़ाने जरूर जाऊंगा। एके मिश्रा, जिला कृषि पदाधिकारी, लातेहार।

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत सुदूर एवं नक्सल प्रभावित गांवों में इन दिनों मूंग की फसल से हरियाली छाई हुई है। जेटीडीएस प्रोजेक्ट के तहत प्रखंड के पांच पंचायत मंगरा, उकामाड़, कुचिला, छिपादोहर और चंगुरू में एक हजार एकड़ भूमि में मूंग की खेती कराई गई है। भारतीय लोक कल्याण संस्थान के प्रखंड समन्वयक संदीप वैद्य की निगरानी और मार्गदर्शन में किसान मूंग की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे हैं। वर्तमान में प्रखंड क्षेत्र के एक हजार एकड़ भूमि पर मूंग की फसल लहलहाती फसल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आर्किषत कर ले रही है।

सूखे की मार झेल रहे इलाके में हरियाली :

सूखे से जूझ रहे जिले में बरवाडीह के गांवों में जाते ही किसानों की खेतों में हरी भरी फसलें देख लोग चौंक जाते हैं। यहां मूंग की फसल लहलहा रही है। जानवरों से फसल बचाने के लिए किसानों ने खेत के चारों तरफ कटीले तार लगा दिए हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने जैविक खाद का प्रयोग किया है। मूंग की फसल से उत्साहित किसानों ने जो कहा :

रूपेश्वर सिंह ने बताया कि मूंग की खेती पहले क्षेत्र का कोई किसान नहीं करता था। पिछले साल संदीप की प्रेरणा से हिम्मत करके 5 डिसमिल भूमि में मूंग बोई थी। तब जानवरों ने खूब परेशान किया। फसल की सिचाई के लिए भी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बाद में अच्छा मुनाफा मिला। इस साल हमने 50 डिसमिल भूमि में मूंग बोई है, खेत में हरी भरी फसल देखकर खुशी हो रही है। मंगरा गांव निवासी अनुराधा देवी ने बताया कि आसपास के किसानों की देखा देखी हिम्मत करके उसने 50 डिसमिल में मूंग बोई है। फसल देखकर दिल खुश हो जाता है। मूंग की फसल के लिए उसने कई विशेषज्ञों से भी राय ली थी। उसका नतीजा सामने है। मूंग की फसल इलाके में वरदान साबित होगी। क्षेत्र में बीते एक साल से मूंग की फसल के प्रति रुझान बढ़ा है। जैविक खेती की दे रहे सुझाव :

भारतीय लोक कल्याण संस्थान के प्रखंड समन्वयक संदीप वैद्य का कहना है कि मूंग की फसलों की तरफ किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। अच्छी बात ये है कि किसान जैविक खेती की ओर लौट रहे हैं। इलाके में मूंग की फसल बहुत अच्छी हैं, किसानों को मुफ्त सलाह दी जा रही है, साथ ही हेल्पलाइन नंबर पर विशेषज्ञों से वार्ता भी की जाती है। कोट ::

किसानों की ओर से वाकई बहुत अच्छा प्रयास किया गया है। सुदूर गांवों में एक हजार एकड़ भूमि पर मूंग की खेती से निश्चित तौर पर युवा वर्ग खेती से आमदनी प्राप्त करने के लिए प्रेरित होगा। मैं स्वयं इन गांवों में किसानों का उत्साह बढ़ाने जरूर जाउंगा। एके मिश्रा, जिला कृषि पदाधिकारी, लातेहार।


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