विद्यालय प्रबंधन की चूक से आकांक्षा परीक्षा से छात्र हुए वंचित
चंदवा शिक्षकों को विद्यार्थियों का भाग्य निर्माता कहा जाता है।
चंदवा: शिक्षकों को विद्यार्थियों का भाग्य निर्माता कहा जाता है लेकिन यदि वही शिक्षक उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करे तो उसे क्या कहा जाए। शिक्षक की एक चूक से निलेश कुमार (पिता लक्ष्मण साव, माता अंजु देवी अलौदिया), आदित्य कुमार (पिता संतन यादव) समेत अन्य आकांक्षा परीक्षा से वंचित रह गए। ºीस्त राजा उच्च विद्यालय की मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद इन छात्रों की लालसा इंजीनियरिग की पढ़ाई के लिए थी। आकांक्षा योजना की जानकारी मिलने के बाद इसने इनलोगों ने उक्त परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन भरा और फार्म को विद्यालय से स्वीकृत कराकर लातेहार कार्यालय में जमा कराने के लिए प्रबंधन को सौंप दिया। 17 मार्च को परीक्षा होनी थी। जब निलेश समेत अन्य का एडमिट कार्ड नहीं पहुंचा तो अभिभावकों को चिता हुई। विद्यालय से भाग-दौड़ के बीच परीक्षा की तिथि गुजर गई। माता व पिता तथा छात्र की आस पूरी नहीं होने के बाद मामला गरमाया और लक्ष्मण अपने मेघावी बेटे व उसके मित्र आदित्य के साथ स्कूल पहुंचा। प्रबंधन द्वारा गलती किए जाने और दोषी को सजा दिलाने की बात पर अड़ा। प्रबंधन ने गलती भी स्वीकारी मगर उनकी गलती से बच्चे के उड़ान को पर नहीं मिल सके। पिता की मानें तो पांच वर्ष नवोदय की परीक्षा फार्म भरने के समय भी उसके साथ इस तरह का खेल खेला गया था। जिसके कारण उसका पुत्र उक्त परीक्षा से वंचित रह गया था।
कहता है प्रबंधन: प्रबंधन के फादर मोरिस टोप्पो ने कहा कि चूक हुई है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। जो चूक हुई उसे सुधारा भी नहीं जा सकता लेकिन अन्य प्रतियोगी यथा नवोदय में नामांकन जैसे बिन्दु पर विद्यालय प्रबंधन की पूरी कोशिश होगी के इस मेघावी छात्र को उसका हक मिले।
क्या है आकांक्षा योजना: आकांक्षा योजना गरीब व मेघावी विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई योजना है। जो मेघावी गरीब विद्यार्थी इंजीनियरिग व मेडिकल परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं। इंटरेंस एग्जाम में सेलेक्ट होने के बाद उन्हें निश्शुल्क कोचिग दी जाती है रहने व खाने की व्यवस्था भी सरकार द्वारा ही की जाती है। इससे उनके सपने को पूरा करने का प्रयास सरकार करती है।