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सद्भाव कायम, जिले पर नहीं चढ़ा सांप्रदायिकता का रंग

गजेन्द्र बिहारी कोडरमा अभ्रक व रेडियो पर फरमाइशी गीतों के लिए प्रसिद्ध झुमरीतिलैया शहर

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 06:39 PM (IST)
सद्भाव कायम, जिले पर नहीं चढ़ा सांप्रदायिकता का रंग
सद्भाव कायम, जिले पर नहीं चढ़ा सांप्रदायिकता का रंग

गजेन्द्र बिहारी, कोडरमा

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अभ्रक व रेडियो पर फरमाइशी गीतों के लिए प्रसिद्ध झुमरीतिलैया शहर समेत जिला सामाजिक सद्भाव और समरसता के लिए जाना जाता है। 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए, तो यहां हमेशा सामाजिक सद्भाव कायम रहा है। 1991 के मंडल कमीशन के बाद अगड़े-पिछड़े के बीच विभाजन का दौर हो या 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला, कोडरमा के लोगों ने आपसी भाईचारा बरकरार रखा।

स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भी आजादी के सच्चे सपूतों ने ऊंच-नीच, अमीरी- गरीबी और जातीय भेदभाव को मिटाकर एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में हिस्सा लिया। गिरिडीह और हजारीबाग जैसे पड़ोसी जिले से अक्सर पर्व-त्योहारों के मौसम में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की खबर आती हैं। इसके बावजूद कोडरमा के लोगों ने शांति व्यवस्था बनाए रखने में पूरी भागीदारी निभाई। ऐसी घटनाएं यहां आम है कि विभिन्न संप्रदाय के लोगों ने आगे बढ़कर दूसरे धर्म के आयोजनों में हिस्सा लेकर उसे धूमधाम से मनाया। जातीय भेदभाव मिटाकर की एक-दूसरे की मदद

कोरोना का संक्रमण काल भले ही इंसानी जिदगी के लिए खौफनाक रहा हो लेकिन इसके कुछ सकारात्मक और सुखद पहलू भी हैं। कोरोना काल में पाबंदियों के बीच लोगों ने कम संसाधन में जीने की इच्छा शक्ति मजबूत की, लोगों ने जातीय भेदभाव को मिटाकर एक-दूसरे की मदद की। संक्रमण काल के दौरान सामुदायिक भोजनालय में एक पंक्ति में बैठकर हिदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई सभी ने खाना खाया और एक दूसरे को खाना परोसा। इसके अलावा सक्षम लोगों ने ऊंच-नीच और अमीरी-गरीबी के भेदभाव को खत्म कर समाज के पिछड़े, गरीब और जरूरतमंदों को मदद की। उनके घर तक पहुंच कर उन्हें खाद्य सामग्री देकर सामाजिक समरसता की मिसाल कायम की। इसके अलावे कोडरमा स्टेशन के निकट काली मंदिर में पिछले तीन सालों से लगातार पांच रुपये में लोगों को भरपेट भोजन कराया जा रहा है। भोजन लेने की पंक्ति में खड़े लोग हर जाति, धर्म और संप्रदाय के होते हैं। यहां इनकी जाति पूछकर खाना नहीं परोसा जाता और ना ही इनकी हैसियत के हिसाब से कम या ज्यादा पैसे लिए जाते हैं। प्यार बांटते चलो कार्यक्रम के जरिये विकास दारूका, अरुण मोदी, देवी सेठ समेत सात-आठ व्यवसायियों की टीम हर रोज अपने खर्चे से जरूरतमंदों को पांच रुपये में भोजन कराते हैं। इनकी यह सोच समाज को एक सूत्र में पिरोए रखने की शक्ति प्रदान करता है।

धार्मिक संगठनों का भी है अहम रोल

जिले में सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में धार्मिक संगठनों का भी अहम रोल है। झुमरीतिलैया शहर में 20 से 25 अलग-अलग धार्मिक संगठन है जो प्रतिदिन धार्मिक आयोजन और उत्सव के जरिये सामाजिक भेदभाव को मिटाने का काम कर रहे हैं। श्री राम संकीर्तन मंडल, श्री हनुमान संकीर्तन मंडल, श्याम मित्र मंडल, रानी सती सेवा समिति समेत अन्य धार्मिक संगठनों की ओर से भजन कीर्तन और अन्य आयोजनों के जरिये सभी लोगों को समाज के एक धागे में पिरोने का कार्य किया जाता है।


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