नवपत्रिका पूजा के साथ पूजा- अर्चना शुरू
कोरोना संक्रमण के साए के बीच पूजा पंडालों में पूजा शुरू हो गई है।
कोडरमा: कोरोना संक्रमण के साए के बीच पूजा पंडालों में पूजा शुरू हो गई है। नवपत्रिका पूजा के साथ पूजा- अर्चना शुरू हो रही है। इससे पूर्व गुरुवार की शाम कुछ देर के लिए मां के पट खुले थे। हर साल बड़े धूमधाम से विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर पट खोलने की रस्म होती थी, लेकिन इसबार कोरोना संक्रमण के कारण बड़े सादे ढंग से बिना किसी तामझाम के पूजा पंडाल और मां दुर्गे के पट आम भक्तों के लिए खोले गए हैं। झुमरीतिलैया बेलाटांड़ दुर्गापूजा समिति के अध्यक्ष प्रेम पांडेय ने बताया कि इस वर्ष एक बार में 10-15 भक्तों को पंडाल में अंदर आने और मां दुर्गे की आराधना की इजाजत मिलेगी। क्या है नवपत्रिका
झुमरीतिलैया बेलाटांड़ दुर्गापूजा समिति के पुरोहित दिवाकर भट्टाचार्य कहते हैं दुर्गापूजा की शुरुआत नवपत्रिका पूजन के साथ होती है। इसे केले के गाछ के साथ नौ तरह की पत्तियों को पाट के सूत से बांधकर तैयार किया जाता है। इसमें केला के अलावा बेल, कच्चू, हल्दी, जौ की बाली, धान की बाली, अनार की पत्तियां, अशोक व अमरूद की पत्तियां शामिल हैं। इसे दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक माना जाता है। शास्त्र के अनुसार केले की पत्ती को ब्राह्माणी का रूप माना गया है। बेलपत्र भगवान शिव का प्रतीक है। इसी तरह धान लक्ष्मी, कच्चू काली, हल्दी दुर्गा, जौ कार्तिकी, अनार रक्तदंतिका और अशोक को देवी सोकराहिता और अमरूद की पत्ती को देवी चामुंडा का प्रतीक माना गया है। बताया जाता है कि नवपत्रिका पूजन के बाद देवी नींद से जागती हैं और चार दिनों तक मनुष्य लोक में रहकर लोगों के कष्ट को हरती हैं। नवपत्रिका को भगवान गणेश के दाहिने स्थापित किया जाता है। बांग्ला पूजन पद्धति में इसे कोलाबोऊ कहा जाता है। नवपत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी माना गया है।