Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: तीन जिलों में फैला कोडरमा लोकसभा क्षेत्र बना हॉटसीट

Lok Sabha Election 2019. भाजपा प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा से जुड़कर हॉट सीट बनी कोडरमा में जबर्दस्त कोल्डवार की स्थिति है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 12:59 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: तीन जिलों में फैला कोडरमा लोकसभा क्षेत्र बना हॉटसीट
Lok Sabha Election 2019: तीन जिलों में फैला कोडरमा लोकसभा क्षेत्र बना हॉटसीट

कोडरमा, [अनूप कुमार]। Lok Sabha Election 2019- भाजपा प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा से जुड़कर हॉट सीट बनी कोडरमा में जबर्दस्त कोल्डवार की स्थिति है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह यहां के निवर्तमान सांसद को बेटिकट कर पार्टी ने अन्नपूर्णा देवी को यहां से उतारा है। ऐसे में दो विपरीत धाराओं के मिलन की इस केमिस्ट्री पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं।

loksabha election banner

वोटिंग में चार दिन शेष बचे हैं, लेकिन चुनावी प्रचार का शोर यहां लोगों को परेशान नहीं कर रहा है। इलाके में इक्का-दुक्का ही प्रचार वाहन दिख रहे हैं। विधानसभा, नगर पर्षद या पंचायत चुनाव की तरह कहीं शोर-शराबा नहीं है। ज्यादातर होर्डिंग्स पीएम मोदी व कमल फूल और कुछ-कुछ पार्टी प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी के प्रचार से पटा हुआ है।

झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी या भाकपा माले प्रत्याशी राजकुमार यादव के होर्डिंग कहीं नजर नहीं आ रहे। झाविमो के गठबंधन दल कांग्रेस के एकाध होर्डिंग्स हैं, जिसमें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी न्याय योजना का प्रचार करते दिख रहे हैं। 42 डिग्री तापमान के बाद भी दलों का जनसंपर्क अभियान व नुक्कड़ सभा कहीं-कहीं ही चल रहा है।

आमतौर पर चुनावी मौसम में नेताओं के मुंह से तीखे बोल ही निकलते हैं, वह इस बार यहां नहीं दिख रही है। प्रत्याशियों से लेकर नेता तक एक-दूसरे के विरुद्ध भाषा की मर्यादा व संयम की सीमा को लांघने से बच रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा यहां हो चुकी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा होनी है।

तीन जिलों में फैला हुआ छह विधानसभा क्षेत्रों वाला कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में एक कॉमन फैक्टर मोदी को छोड़ दिया जाए तो सभी विधानसभा क्षेत्रों में मुद्दे, प्राथमिकताएं व मुकाबले की स्थिति बदल जाती है। ऐसे में बाहरी तौर पर माहौल भले ही चुनावी शोर वाली नहीं है, लेकिन भीतर से स्थिति कोल्डवार जैसी है।

धीरे-धीरे मतदाताओं की खामोशी टूट रही है। जो चीजें बाहरी तौर पर दिख रही है, वास्तविकता उतनी भर नहीं है। भितरखाने राजनीतिक खिचड़ी ज्यादा पक रही है। रात में जातीय बैठकों में मंथन का दौर शुरू हो गया है। ऐसी बैठकों में आम मतदाताओं की चिंता व चिंतन का स्तर प्रत्याशियों से कहीं आगे का होता है।

देश से लेकर इलाके की राजनीति में अपने समुदाय की भूमिका, भविष्य, उसमें हिस्सेदारी, मान-सम्मान, अपेक्षा, उपेक्षा तक की चर्चा होती है। कई बार एकमत नहीं होने पर विरोधाभास सामने आते हैं। मंथन का यह दौर हर समुदाय में शुरू हो गया है। एक दल विशेष से असंतुष्ट दो-तीन बड़े वोट बैंक की लाइन ही बहुत स्पष्ट है। जबकि अन्य बड़े वोट बैंक में विभाजन की स्थिति है।

इसी को तोडऩे-समेटने में पार्टियां अपने-अपने स्तर से लगी हुई हैं। जाति के अनुसार नेताओं को उनके स्वजातीय लोगों के बीच लगाए जा रहे हैं। इधर, सत्ता के आकर्षण में एक छतरी के नीचे जुटे नेताओं की आकांक्षा, महत्वाकांक्षा, घात, भितरघात का खेल भी कौन सा गुल खिलाएगी, यह आनेवाले समय में ही पता चलेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.