मनुष्य को जानवर को भी जीव समझना चाहिए: आस्तिक सागर जी महाराज
सम्वेदशीखर जी पारसनाथ से पैदल चलते हुए जैन मुनि 10
झुमरीतिलैया (कोडरमा): सम्वेद शिखर जी पारसनाथ से पैदल चलते हुए जैन मुनि 108 आस्तिक सागर जी महाराज, बायें में 108 प्रणीत सागर जी महाराज का मंगलवार को झुमरीतिलैया पहुंचने पर श्री दिगंबर जैन समाज के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान शहर में महिलाओं ने कलशयात्रा भी निकाली। कलशयात्रा एवं जैन मुनि ससंघ विभिन्न इलाकों का भ्रमण करते श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर पहुंचे। इस दौरान जैन मुनि देख लो त्याग करना सीख लो, अहिसा परमो धर्म के नारों से गुंजायमान होता रहा। मालूम हो कि मुनि महाराज 6 दिसंबर को पारसनाथ, बगोदर, बरही होते हुए मंगलवार को झुमरीतिलैया पहुंचे। जैन समाज के लोगों ने बाजे-गाजे से मुनि महाराज का स्वागत सुभाष चौक के समक्ष किया। मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष विमल बड़जात्या, मंत्री ललित सेठी ने बताया कि जैन मुनि आस्तिक सागर जी महाराज, बायें में 108 प्रणीत सागर जी महाराज दोनों सगे भाई हैं और गृहस्थ जीवन छोड़कर मुनि की दीक्षा ग्रहण किये। दोनों मुनि सीए की डिग्री हासिल करने के बाद जैन मुनि बने और देश के कल्याण के लिए लग गए। झुमरीतिलैया के श्री दिगंबर जैन मंदिर स्थित सरस्वती भवन में मुनि श्री आस्तिक सागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि सभी मनुष्यों को अपने जीवन में जानवरों को भी जीव समझना चाहिए जिससे मनुष्य कभी भी गलत कार्य नहीं कर सकेगा। इस अवसर पर समाज के उपाध्यक्ष कमल सेठी, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला, जैन युवक समिति के मंत्री सुमित सेठी, राजीव छाबड़ा, मनीष गंगवाल, पीयूष काशलीवाल, प्रशम सेठी, महिला समाज की अध्यक्ष नीलम सेठी, मंत्री आशा गंगवाल, संगीता छाबड़ा, अंजू छाबड़ा, ममता सेठी, राजकुमार अजमेरा, नवीन गंगवाल आदि उपस्थित थे।