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मातृ सम्मेलन में बच्चों के देखभाल की दी गई जानकारी

झुमरीतिलैया के ब्लॉक रोड स्थित शिव तारा सरस्वती विद्या मंदिर में मंगलवार को विद्यालय के भैया-बहनों के उज्जवल भविष्य एवं माताओं का अपने बच्चों के प्रति सही मार्ग दर्शन के निमित कर्तव्यों को समझ हेतु एक मातृसम्मेलन का आयोजन किया गया। मंचासिन अतिथियों में मुख्य अतिथि आनंदा कॉलेज हजारीबाग के व्याख्याता डा. ललिता राणा माननीय प्रदेश सचिव मुकेश नंदन (विद्या विकास समिति झारखंड) विद्यालय के सचिव रामरतन महर्षि कैलाश राय सरस्वती विद्या मंदिर प्रधानाचार्य मृत्यंजय सहाय प्रधानाचार्य उमेश प्रसाद उपस्थित थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 10:11 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:14 AM (IST)
मातृ सम्मेलन में बच्चों के देखभाल की दी गई जानकारी
मातृ सम्मेलन में बच्चों के देखभाल की दी गई जानकारी

झुमरीतिलैया (कोडरमा) : झुमरीतिलैया के ब्लॉक रोड स्थित शिव तारा सरस्वती विद्या मंदिर में मंगलवार को विद्यालय के भैया-बहनों के उज्जवल भविष्य एवं माताओं का अपने बच्चों के प्रति सही मार्ग दर्शन के निमित कर्तव्यों को समझ के लिए एक मातृ सम्मेलन का आयोजन किया गया। मंचासीन अतिथियों में मुख्य अतिथि आनंदा कॉलेज, हजारीबाग के व्याख्याता डॉ. ललिता राणा, प्रदेश सचिव मुकेश नंदन (विद्या विकास समिति, झारखंड), विद्यालय के सचिव रामरतन महर्षि, कैलाश राय सरस्वती विद्या मंदिर प्रधानाचार्य मृत्यंजय सहाय, प्रधानाचार्य उमेश प्रसाद उपस्थित थे। विद्यालय के सचिव श्री रामरतन महर्षि ने अपने विचारों के द्वारा मार्गदर्शन के लिए कई सुझाव रखें। मातृ भारती की अध्यक्षा जयंती सेठ उपस्थित थी। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, पुष्पार्चन एवं मंगलाचरण से शुरू हुआ। एकता मंत्र आचार्या आशा कुमारी ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत गान के द्वारा हुआ। कार्यक्रम की प्रस्तावना आचार्या रविता उपाध्याय के द्वारा हुआ। कार्यक्रम के मुख्य बिदुओं पर उद्बोधन प्रदेश सचिव, विद्या विकास समिति, झारखंड के मुकेश नंदन ने रखा। कार्यक्रम में सामूहिक गान,सामूहिक नृत्य और कविता मां की ममता उपस्थित अतिथियों एवं माताओं को भाव विभोर कर दिया। माता पक्ष से कई मंतव्य आए जो हमारे आचार्या-आचार्याें के लिए प्रेरणा के स्त्रोत होंगे। विद्यालय के सचिव रामरतन महर्षि ने अपने विचारों द्वारा मार्गदर्शन के लिए कई सुझाव रखें। मातृ सम्मेलन का मुख्य उदेश्य शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण भी है। हम अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को भूल जा रहे हैं और पश्चिमी देशों की सभ्यता अपना रहे हैं। पश्चिमी देशों वाले हमारी सभ्यता एवं संस्कृति को अपनाकर विकसित हुए। बालकों का चरित्र निर्माण कैसे हो,इसी बात को लेकर 1952 में सर्वप्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना हुई थी। मुख्य अतिथि डॉ. ललिता राणा ने कहा कि मातृ शक्ति जब तक मनुष्य के साथ रहेगी वह अजेय रहेगा। माता की अराधना सबसे ज्यादा होती है परन्तु आज समाज में माता-बहनों की स्थिति क्या है यह निश्चित रूप से चितन का विषय है। धन्यवाद ज्ञापन आशा कुमारी ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम से हुआ। इस कार्यक्रम में विद्यालय के सभी आचार्य-आचार्यागण उपस्थित थे।

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