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नल से जल नहीं लेना चाह रहे ग्रामीण

एक ओर सरकार 31 मार्च 2024 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए आंकड़े एकत्रित कर रही है तो दूसरी ओर ग्रामीण नल से जल नहीं लेना चाह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 07:22 PM (IST)
नल से जल नहीं लेना चाह रहे ग्रामीण
नल से जल नहीं लेना चाह रहे ग्रामीण

तोरपा : एक ओर सरकार 31 मार्च 2024 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए आंकड़े एकत्रित कर रही है, तो दूसरी ओर ग्रामीण नल से जल नहीं लेना चाह रहे हैं। विदित हो कि तोरपा प्रखंड अंतर्गत मरचा पंचायत में करोड़ों रुपये की लागत से जलमीनार बनाई जा रही है, ताकि हर घर तक नल से जल पहुंचे, लेकिन कुछ ग्रामीण सप्लाई पानी लेना नहीं चाह रहे हैं।

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केंद्र सरकार की नई योजना हर घर को नल से जल मिले, के तहत हर परिवार तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन से जलापूर्ति की कार्ययोजना बनाई जा रही है। वर्षों से जल संकट से जूझ़ रहे ग्रामीण इलाकों को इस संकट से दूर करने के लिए सरकार की ओर से यह बेहतर पहल की गई है। सरकार का लक्ष्य जिले के सभी ग्रामों में घर-घर को पेयजलापूर्ति योजना का लाभ देना है। इसी के तहत मरचा में करोड़ो रुपये की लागत से जलमीनार बनाई गयी है, जिससे मरचा, अम्मा व उडिकेल पंचायत के 1909 लोगो को नल से जल देने की योजना है। इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। बस अब इंतजार है कनेक्शन देने का, लेकिन उपरोक्त तीनों पंचायत के एक-दो गांव के लोग सप्लाई पानी का कनेक्शन लेने से मना कर रहे हैं। इसके लिए विभाग के कनीय अभियंता से लेकर कार्यपालक अभियंता तक ग्रामीणों को समझा-बुझा रहे हैं, लेकिन वे बार-बार कनेक्शन लेने से मना कर दे रहे हैं। इस संबध में कनीय अभियंता रावेल होरो ने बताया कि मरचा ग्रामीण जलापूर्ति योजना से 1909 लोगो को पानी देना है, लेकिन अब तक 1140 लोगों ने ही कनेक्शन लिया है। वहीं, मरचा के भालू टोली, कर्रा बर टोली, अम्मा का लेटेर तथा उडिकेल के महुआ टोली के ग्रामीण पानी के कनेक्शन लेने से मना कर रहे हैं। इस बारे में मुखिया निरल तोपनो भी ग्रामीणों को समझा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हैं।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

मरचा जलापूर्ति योजना से मरचा में नल से जल देने की योजना है। इसके लिए जलमीनार बनकर तैयार हो गई है और रविवार को इसका ट्रायल भी किया गया, लेकिन कई गांव के लोग नल से पानी नहीं लेना चाहते हैं। उनका कहना है कि हम लोगों के पूर्वज कुएं, तालाब और नदी से पानी पीते रहे हैं, जो पूरी तरह से स्वच्छ है। जलमीनार में न जाने क्या-क्या केमिकल मिलाकर पानी को खराब कर देने के बाद छोड़ा जाता है। इसलिए हम लोगों को सप्लाई का पानी नहीं चाहिए। साथ अभी तो योजना से पानी फ्री मिल जाएगा लेकिन पांच साल बाद तो पैसे देने ही होंगे। जब हम हम फ्री का पानी हम पीते आ रहे हैं तो फिर पैसे लगाकर क्यों पीएं।


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