कोरोना काल में लिया प्रशिक्षण, अब साबुन बनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं
तोरपा की महिलाएं कई क्षेत्रों में काम कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। कोरोना काल में जब पूरे देश में लॉकडाउन था उस वक्त कुमांग की महिलाएं साबुन बनाने का प्रशिक्षण ले रही थीं।
तोरपा : तोरपा की महिलाएं कई क्षेत्रों में काम कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। कोरोना काल में जब पूरे देश में लॉकडाउन था, उस वक्त कुमांग की महिलाएं साबुन बनाने का प्रशिक्षण ले रही थीं। फिलहाल वही प्रशिक्षित महिलाएं हर दिन आठ सौ से एक हजार साबुन बना रही है। खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के कुमांग गांव की महिलाएं शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर कम कीमत में ग्लसरीन युक्त साबुन बना रही हैं। उत्पादक समूह से जुड़ीं इन महिलाओं के जीवन में अब बदलाव देखने को मिल रहा है। गांव-घर में ही स्वरोजगार मिलने से महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। इनका मानना है कि प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के आह्वान ने भी इनके काम को बहुत आसान बना दिया है। साबुन निर्माण से जुड़ी इन महिलाओं ने उत्पादन के बाद मार्केटिग का भी पूरा खाका तैयार कर लिया है। बहुत जल्द ही स्थानीय बाजारों के साथ बड़े-बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में भी महिला समूह द्वारा बनाया गया साबुन उपलब्ध रहेगा। साबुन बनाने के काम में फगनी देवी के साथ रेखा प्रधान, रजनी जोजो, अनिता देवी, बसंती देवी, सुनीता देवी, फुलमनी देवी, रौदी देवी, लीला देवी, फगनी देवी, रंथी देवी, कजरा देवी सहित 28 महिलाएं शामिल हैं।
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जेएसएलपीएस से मिला सहयोग
कुमांग आजीविका उत्पादक समूह की महिलाओं को जेएसएलपीएस से काफी मदद मिली है। एक ओर जहां जेएसएलपीएस से महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, वहीं उनको मार्केटिग में भी सहयोग मिल रहा है। हौसलों से भरपूर ये महिलाएं साबुन बनाकर इन दिनों काफी सुर्खियों में है। ग्लसरीन युक्त साबुन बनाकर महिलाएं मल्टीनेशनल कंपनियों को भी पीछे छोड़ने की सोच रखती हैं।
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कोट :-
महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल का आह्वान महिलाओं के काम को बहुत सरल कर दिया। ऐसे महिला समूहों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- विजय कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी तोरपा
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घर के सारे काम निपटाने के बाद महिलाएं साबुन बनाने में लग जाती हैं। स्वरोजगार शुरू करने के बाद महिलाओं के जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब महिलाएं रुपयों के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैला रही हैं।
-फगनी देवी, सदस्य, कुमांग आजीविका उत्पादक समूह।