छठ को ले सरकार के निर्णय का तोरपा की महिलाओं ने किया विरोध
लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर झारखंड सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का तोरपा में महिलाओं ने विरोध किया है।
तोरपा : लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर झारखंड सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का तोरपा में महिलाओं ने विरोध किया है। महिलाओं ने झारखंड में तालाब, नदी, डैम आदि घाटों पर छठ महापर्व के आयोजन पर पाबंदी लगाने के आदेश की निंदा करते हुए इसे लोक मान्यताओं और परंपराओं पर कुठाराघात बताया। हिदुओं के इस महत्वपूर्ण त्योहार को घाटों पर नहीं होने देने का निर्देश सरकार की मानसिकता उजागर कर रही है। कोरोना महामारी के बीच कई राज्यों ने नदी व जलाशयों में छठ पूजा के आयोजन की अनुमति दी है। महिलाओं ने कहा कि चुनाव या अन्य राजनीतिक आयोजनों से कोरोना नहीं फैल रहा है, सिर्फ पर्व-त्योहारों में ही कोरोना फैल रहा है। सरकार का यह धारणा गलत है।
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सरकार के इस निर्णय से छठव्रती काफी परेशान हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि वह स्थानीय तालाबों को साफ-सफाई एवं व्यवस्थित कर मोहल्ला व वार्ड का निर्धारण अलग-अलग टोलियों में महापर्व छठ पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की व्यवस्था करें।
-मीरा केशरी, मरचा
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इस महापर्व का सालभर इंतजार रहता है। छठ मईया भक्तों की सारी मुराद पूरी करती है। इसके लिए लोगों ने घाटों की सफाई कर ली थी। अब उनके सामने समस्या उत्पन्न हो गई है कि वे छठ कहां करें और अर्घ्य कैसे दें। सरकार को अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए।
-आरती देवी, तपकरा
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जिनके पास घर में अर्घ्य देने की व्यवस्था नहीं है वे कैसे अर्घ्य देंगे, बिना अर्घ्य दिए छठ पूजा संपन्न हो ही नहीं सकती और कोई व्रती पूजा रोक भी नहीं सकते। यह लोक आस्था का महापर्व है।
-सुनीता केशरी, मरचा
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महापर्व छठ पर इस तरह का प्रतिबंध लगाना घोर पाप है। सरकार को अगर लगता है इस तरह के पर्व से कोरोना फैलता है तो घाटों पर सुरक्षा प्रदान करे। लेकिन छठ जैसे महापर्व को रोकना या घाट पर नही करने देना ये ठीक नहीं है।
-कविता जायसवाल, तोरपा