मोड़या मधुकम के लोगों को है सरकार का इंतजार
तोरपा प्रखंड के मोड़या मधुकम में अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंची है।
तोरपा : तोरपा प्रखंड के मोड़या मधुकम में अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंची है। यहां पर कोरोना के प्रति लोग जागरूक नहीं हैं। यही कारण है कि यहां के लोग कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे हैं। जरिया पंचायत के मोड़या मधुकम गांव के ग्रामीण गांव को विकास के मामले में हाशिये पर रखे जाने पर नाराज हैं। गांव तक पहुंच पथ नहीं बना है। बरसात के दौरान हर वर्ष ग्रामीण श्रमदान कर सड़क बनाते हैं और आवागमन करते हैं। गांव में कहीं भी पीसीसी पथ नहीं है। ग्रामीणों को राशन लेने छह किमी दूर जाना पड़ता है। ग्रामीणों की नाराजगी इस बात पर अधिक है कि जब सोनपुरगढ़ से सेतादिरी तक और तपकरा से दुमंगदिरी तक पक्की सड़क बना दी गई है, तो फिर बीच में पड़ने वाले उनके गांव के दोनों छोर पर करीब ढाई किलोमीटर तक सड़क का निर्माण क्यों नहीं किया गया। दोनों छोर से पक्की सड़क है बस मोड़या मधुकम को छोड़ दिया गया है। सरकार को हमारे गांव से कोई मतलब है ही नहीं तो ग्रामीणों को कोविड का टीका लगवा कर अपनी वाहवाही क्यों लेना चाह रही है। सरकार और उनके पदाधिकारियों के कारण ग्रामीण हर पल मरने के लिए मजबूर हैं, ऐसे में कोरोना वायरस का संक्रमण ग्रामीणों के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि सड़क के अभाव में गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है। गर्भवती महिलाओं को इससे सबसे अधिक परेशानी होती है। दो किमी दूर सेतादिरी तक पैदल पहुंचने के बाद एंबुलेंस की सुविधा मिली है। गांव तक पहुंच बनवाने के लिए ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों के अलावा उपायुक्त को पत्र लिखकर गुहार भी लगा चुके हैं।
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ग्रामीणों को है विकास की आस
मोड़या मधुकम के सलिल कोनगाड़ी व मनसिद्ध कोनगाडी का कहना है कि एक ओर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर मोडया मधुकम के ग्रामीण एक किलो अमृत नमक खरीदने के लिए दो किलोमीटर की दूरी तय करने को मजबूर हैं। गांव में विकास के नाम पर बिजली व 1992 में लगाया गया एक हैंडपंप है। ग्रामीणों ने बताया कि मोडया मधुकम में करीब 19 परिवार रहते है। इनमें पांच लोगों को पहले इंदिरा आवास मिला था। इसके बाद तीन साल पूर्व दो लोगो को प्रधानमंत्री आवास मिला। गांव में अभी भी प्रभुसहाय कोंगाडी, रेबेका कोंगाडी, मगदली कोनगड़ी, जोसेफ तोपनो, फिनियस कोंगाडी, जोस्फीना तोपनो, संतोष तोपनो, सेटेंग तोपनो, मरकस कोंगाडी, तबिता कोंगाडी, मनसिद्ध कोंगाडी समेत कई वृद्ध को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलती है। गांव में कहीं पर भी पीसीसी पथ नहीं है। पंचायत भवन 10 किलोमीटर दूर, जन वितरण प्रणाली की दुकान छह किलोमीटर दूर दुमंगदिरी में। चावल, दाल, शक्कर व अन्य सामान लेने सात किलोमीटर दूर सोनपुरगढ़ स्थित राशन की दुकान जाना पड़ता है। यहां तक की देश के नौनिहालों को पढ़ने के लिए भी सात किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
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चुनाव के बाद मुड़कर नहीं देखते जनप्रतिनिधि
आजादी से लेकर अब तक कितनी सरकारें आईं और चली गईं। सभी ने विकास के नाम पर वोट लिए और विकास के बड़े-बड़े दावे भी किए, लेकिन यह दावे धरातल पर कितने हद तक सच हुए हैं, यह क्षेत्र की भुक्तभोगी जनता ही जानती है। मोडया मधुकम के ग्रामीणों को आजादी के बाद अबतक अपने गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क पर चलना नसीब ही नहीं हुआ। इस गांव के लोग खुद को कोसकर ही अपनी भड़ास निकालने पर मजबूर हैं। खेत की मेड़ व पथरीले रास्ते के सहारे बच-बचाकर घर तक पहुंच रहे ग्रामीणों की दुर्दशा की कहानी सरकार के बड़े-बड़े दावों को जमीनी स्तर पर शर्मसार कर रही है। मोड़या मधुकम के लोगों का कहना है कि चुनाव के दिनों में विभिन्न राजनीतिक दल के लोग गांव में पहुंच बहे-बड़े दावे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद फिर पलट कर नहीं देखते। यहां की समस्याओं से प्रशासन व प्रतिनिधियों को कोई सरोकार नहीं है।
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वैक्सीन को लेकर किया जाएगा जागरूक
इस संबंध में खूंटी के अनुमंडल पदाधिकारी सैयद रियाज अहमद ने कहा कि गांव में विकास का काम नहीं होना या कम होना अलग मामला है और कोरोना से बचाव का टीका लगाना अलग मामला है। दोनों मामलों को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता है। कोरोना संक्रमण बचाव को लेकर ग्रामीण वैक्सीन लगाए इसको लेकर उन्हें विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाएगा। ग्रामीणों में जागरूकता की कमी है। वैसे उक्त गांव में 12 लोगों ने अबतक कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगाया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की नाराजगी दूर करने लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी को कहा गया है। ग्रामीणों की समस्याओं का निदान किया जाएगा।