दूसरे दिन भी नहीं सुलझा नालेज सिटी में सड़क निर्माण का मामला, मुआवजे पर अड़े रैयत
जिले की महत्वाकाक्षी योजना नालेज सिटी में सड़क निर्माण कार्य पर रैयतों द्वारा रोक ल
खूंटी : जिले की महत्वाकाक्षी योजना नालेज सिटी में सड़क निर्माण कार्य पर रैयतों द्वारा रोक लगाए जाने का मामला बुधवार को भी नहीं सुलझा। रैयतों द्वारा गत मंगलवार को सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाए जाने का मामला उपायुक्त के संज्ञान में आने पर उन्होंने अंचलाधिकारी विनोद प्रजापति और ग्रामीण विभाग विशेष प्रमंडल के सहायक अभियंता ललन सिंह बुधवार को मौके पर भेजा। अधिकारियों ने रैयतों तथा ग्रामीणों को घटों समझाया, पर ग्रामीण इस बात पर अड़े रहे कि जब तक सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन की मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तब तक वे सड़क का निर्माण होने नहीं देंगे। बाद में डीसीएलआर जितेंद्र मुंडा भी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि आवश्यक प्रक्रिया के बाद अविलंब मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन रैयतों का साफ कहना था कि पहले मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। उसके बाद ही सड़क निर्माण कार्य को शुरू होने दिया जाएगा। डीसीएलआर ने बताया कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई थी, लेकिन ठेकेदार व अभियंताओं की गलती से अधिग्रहण वाले क्षेत्र से अलग दूसरी जमीन पर सड़क का निर्माण कर दिया गया है। इसलिए अब नए सिरे से अधिग्रहण की अधियाचना शुरू की जाएगी। डीसीएलआर ने बताया कि पूर्व में सड़क निर्माण के लिए तीन एकड़ 53 डिसमिल जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन नए सिरे से अधिग्रहण की कार्रवाई में अब पाच एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा।
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अभियंताओं व ठेकेदार की गलती से सरकार को होगा डेढ़ करोड़ का नुकसान
नालेज सिटी में निर्माण कार्य करा रहे ग्रामीण विभाग विशेष प्रमंडल के अभियंताओं और ठेकेदारों की गलती का खमियाजा रैयतों को तो भुगतना ही पड़ रहा है। उनकी करतूतों के कारण सरकार को भी डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगना तय है। जानकारी के अनुसार नालेज सिटी में निर्माणाधीन रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय तक पहुंचने के लिए खूंटी-कर्रा मुख्य पथ से नालेज सिटी तक लगभग तीन किलोमीटर पक्की सड़क का निर्माण ग्रामीण विभाग विशेष प्रमंडल द्वारा कराया जा रहा है। सड़क के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया दो वर्ष पूर्व शुरू की गई थी। इसी बीच लगभग तीन माह पूर्व सड़क के लिए निर्धारित नक्शे के अनुसार सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अंचल व भू-अर्जन विभाग के अमीन ने सड़क निर्माण के लिए बने नक्शे के आधार पर चूने से निशान भी लगा दिया था, लेकिन संबंधित अभियंता के निर्देश पर ठेकेदार ने नक्शा से हटकर दूसरी जमीन पर सड़क का निर्माण करा दिया। इससे रैयतों को मिलने वाले मुआवजे का मामला उलझ गया। ग्रामीणों का आरोप है कि संबंधित अभियंता और ठेकेदार ने महज थोड़े लाभ के लिए ग्रामीणों की कीमती जमीन को जहा दाव पर लगा दिया। वहीं, सरकार को भी इससे करोड़ों का चूना लग सकता है। अब नए सिरे से जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई किए जाने से सरकार को डेढ़ एकड़ अधिक जमीन का अधिग्रहण करना होगा। लोग पूछ रहे हैं कि इसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी होगी।