खूंटी जिले को अनुपम सौंदर्य से सजाया है प्रकृति ने, जरूरत है इसे संवारने की
खूंटी जिले को प्रकृति से अपने अनुपम सुंदरता से सजाया है। जिले के पंचघाघ पेरवाघाघ रानी फाल रिमिक्स फाल उलूंग जलप्रपात समेत कई ऐसे दर्शनीय स्थल है जो सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है। इन स्थलों में आकर सैलानी अपने को प्रकृति के निकट महसूस करते हैं।
खूंटी : खूंटी जिले को प्रकृति से अपने अनुपम सुंदरता से सजाया है। जिले के पंचघाघ, पेरवाघाघ, रानी फाल, रिमिक्स फाल, उलूंग जलप्रपात समेत कई ऐसे दर्शनीय स्थल है, जो सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है। इन स्थलों में आकर सैलानी अपने को प्रकृति के निकट महसूस करते हैं। प्रतिवर्ष नववर्ष के स्वागत में दूर-दूर से सैलानी इन स्थलों में पहुंचते है और प्रकृति के अनुपम उपहार और सौंदर्य को निहारते है। क्रिसमस और नववर्ष के करीब आते ही जिले के पर्यटन स्थलों पर सैलानियों का पहुंचना शुरू हो जाता है। प्रकृति के अनमोल उपहार वाले दर्शनीय स्थल पहाड़ी वादियों के बीच से बहती नदियों पर काफी मनमोहक लगती है। जरूरत है इन मनमोहक स्थलों पर सुरक्षा के व्यापक उपाय करने के साथ इनको विकसित करने का। इन पर्यटक स्थलों के समग्र विकास को लेकर सरकार और स्थानीय प्रशासन अबतक उदासीन ही रही है। चर्चा तो खूब होती है, पर धरातल पर उसका कोई पहल होता नहीं दिखाई देता है। जिले के पर्यटन स्थलों में कहीं भी सैलानियों के ठहरने के लिए किसी प्रकार का कोई इंतजाम नहीं है। इतना ही नहीं सैलानियों के खाने-पीने और अन्य सुविधाओं की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है।
खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड स्थित पंचघाघ को चार-चांद लगाते हुए नया रूप देने वाली योजना की फाइल पता नहीं गायब हो गई। खूंटी जिला बनने के एक साल बाद ही 29 अगस्त 2008 को पर्यटन विभाग के तत्कालीन सचिव एके सिंह और डीसी पूजा सिघल पुरवार पंचघाघ पहुंचीं थीं। उनके साथ कई आर्किटेक और इंजीनियर भी थे। योजना बनाने, अधिकारियों के पंचघाघ आने-जाने में लाखों रुपये खर्च हुए। लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकला। पंचघाघ के दो फूट ब्रीज तथा झरने तक उतरने वाले सीढ़ी को दोगुना चौड़ा किया जाना था। पंचघाघ पहुंचते ही पहले फुटब्रीज की दायीं ओर शेषनाग की आकृति वाली पानी टंकी दिखाई देती। चट्टानों को तराश कर मोर की आकृति दी जानी थी, जिससे लगातार पानी गिरता रहता। खाली पड़े स्थान में सुंदर पार्क बनाने की योजना थी, लिकन ऐसा हुआ नहीं।
तोरपा प्रखंड के पेरवाघाघ की हसीन वादियों में घूमने आने वाले पर्यटक खतरों से अंजान मौज-मस्ती करने के लिए नदी में उतर जाते हैं। बरसात में लबालब भरी नदी और पहाड़ों की हसीन वादियों में सेल्फी लेने की होड़ मची हुई है। पेरवाघाघ की तेज बहाव में 2018 से अबतक पांच लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। हर साल हो रहे हादसों के बाद भी सरकार, विभाग और स्थानीय प्रशासन हरकत में नहीं आया है। पेरवाघाघ में खतरे वाले स्थानों पर ना बेरिकेडिग की गई है और न ही उन स्थानों पर सुरक्षा का कोई इंतजाम ही किया गया है। पेरवाघाघ में किसी भी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा है। इस कारण पर्यटक बेखौफ नदी में उतर कर पानी में मौज-मस्ती करने लगते है। पेरवाघाघ में वर्षांत में पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। इन दिनों भले ही पेरवाघाघ में पर्यटकों की चहलकदमी कम हुई हो, लेकिन रविवार को कई सैलानी यहां पहुंच कर प्रकृति के सानिध्य का आनंद लेते हैं। प्रशासन को चाहिए कि नदी किनारे साइन बोर्ड लगाकर पर्यटकों को जागरूक करें, उन्हें खतरों की जानकारी दे और उनकी पूरी सुरक्षा का समुचित इंतजाम करें।
रिमिक्स फाल में इस वर्ष अब तक छह लोगों की हो चुकी है मौत
जिले के जलप्रपातों में खूंटी प्रखंड क्षेत्र का रिमिक्स फॉल काफी खतरनाक हो चुका है। इसे लेकर जिला प्रशासन की चिता बढ़ गई है। इस वर्ष छह युवकों की मौत इस फॉल में डूबने से हो चुकी है। पहली घटना इसी वर्ष 18 जुलाई को घटी, जब रिमिक्स फॉल में पानी के तेज बहाव में रांची के दो युवकों 24 वर्षीय पंकज कुमार और 26 वर्षीय सुनील कुजूर की मौत हो गई थी। इसके बाद 17 अगस्त को पुलिस ने दो शव बरामद किया था, इसमें एक शव 21 वर्षीय अंबर खोया और दूसरा 21 वर्षीय डेनिस सिद्धांत टोप्पो उर्फ विक्की का था। दोनों रांची के रहने वाले थे। वहीं 20 अगस्त को दो युवक रिमिक्स फाल में दूब गए इनमें 18 वर्षीय एल्विन मिज और मनीष बाखला शामिल थे। ऐसे खतरनाक बन चुके फाल पर सुरक्षा के प्रर्याप्त उपाय करने की जरूरत है।
इसके अलावा मुरहू प्रखंड के कोटना और बाड़ी गांव मध्य झर-झर बहते छोटे-छोटे झरनों का मधुर संगीत लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। इस जलप्रपात का पौराणिक नाम कुलाबुरू सड़ागी है, जिसे आज लोग रानी फॉल के नाम से जानते हैं। कुलाबुरू सड़ागी मुंडारी शब्द है, जिसका अर्थ बाघ, पहाड़ और झरना है। रानी फॉल जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर खूंटी-तमाड़ रोड पर आंडीडीह से करीब तीन किमी दूर स्थित है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा यहां वर्ष 2013-14 में कई वॉच टॉवर बनाए गए हैं।
वहीं रनिया प्रखंड क्षेत्र में स्थित उलुंग जलप्रपात अब भी विकास की बाठ जोह रहा है। कोयल नदी पर बने इस जल प्रपात को भी प्रकृति ने अपने बेहतरीन सौंदर्य से संवारा है। लेकिन दुर्भाग्य उलुंग गांव से दो किलोमीटर दूर स्थित इस जलप्रपात तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनाया जा सका है। गांव से जलप्रपात के बीच दो छोटे-छोटे नाला हैं, जिस पर अब तक पुल नहीं बना है। पर्यटक चाहकर भी यहां नहीं पहुंच पाते हैं।