सैनिटाइजर के उपयोग को ले बढ़ी महुआ की मांग
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के इस दौर में हैंड सैनिटाइजर की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। बहुत सी कंपनियां हैंड सैनिटाइजर बनाने के काम से जुड़ चुकी हैं। हैंड सैनिटाइजर बनाने के इस काम में महुआ की उपयोगिता बढ़ गई है।
खूंटी : वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के इस दौर में हैंड सैनिटाइजर की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। बहुत सी कंपनियां हैंड सैनिटाइजर बनाने के काम से जुड़ चुकी हैं। हैंड सैनिटाइजर बनाने के इस काम में महुआ की उपयोगिता बढ़ गई है। इसे लेकर इस वर्ष महुआ की कीमतों अप्रत्याशित वृद्धि होने लगी है।
महुआ व्यवसायियों के मुताबिक लगभग एक माह पूर्व अच्छे किस्म के महुआ की कीमत प्रति किलो 45 से 50 रुपये थी, जो अब बढ़कर लगभग 60 रुपये तक पहुंच गई है। जानकारों का कहना है कि इस वर्ष पूर्व के वर्षों की भांति महुआ की फसल कम हुई है। वहीं, दूसरी ओर हैंड सैनिटाइजर के निर्माण के कारण इसकी उपयोगिता इस वर्ष बढ़ गई है। यही कारण है कि महुआ की कीमत बढ़ने लगी है। दूसरी ओर महुआ की कीमत बढ़ने से महुआ उत्पादन करने वाले किसानों में हर्ष व्याप्त है। महुआ उत्पादन करने वाले मारंगहादा के ग्रामीण भोज नाग ने बताया कि इस बार अपेक्षाकृत महुआ की फसल कम हुई, लेकिन इसकी उपयोगिता बढ़ने और कीमतों में इजाफा होने से कम फसल होने के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है। वहीं, मुरहू प्रखंड के किसान सोमा मुंडा ने कहा कि इस बार महुआ की फसल कम होने से हमें नुकसान हो सकता था लेकिन लगता है कि सैनिटाइजर बनाने में इसका उपयोग होने के कारण महुआ की मांग बढ़ गई है। यह हमारे लिए अच्छा ही हुआ। कम से कम अब हमें नुकसान तो नहीं उठाना पड़ेगा। विदित हो कि जिले में महुआ का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है। ग्रामीण क्षेत्र की एक बड़ी आबादी महुआ सहित अन्य वनोपज पर निर्भर रहते हैं। जंगलों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की जरूरतों का समाधान महुआ सहित अन्य वनोपज से ही होता है। ऐसे में महुआ की उपयोगिता बढ़ने से ग्रामीणों को महुआ की सही कीमत मिलने की संभावना प्रबल हो गई है।