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Lok Sabha Election 2019: रोजगार के अभाव में अपना ही घर लगता है बेगाना

Lok Sabha Election 2019. खूंटी में पढ़-लिखकर युवा अपने घर परिवार एवं समाज को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी बाधा बेरोजगारी सामने आ जाती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 04:57 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: रोजगार के अभाव में अपना ही घर लगता है बेगाना
Lok Sabha Election 2019: रोजगार के अभाव में अपना ही घर लगता है बेगाना

खूंटी, [कंचन कुमार]। Lok Sabha Election 2019- क्षेत्र के युवाओं के लिए उनका अपना घर एवं समाज कब तक बेगाना बना रहेगा, इसका उत्तर देने वाला शायद अब तक कोई सामने नहीं आया है। क्षेत्र के युवाओं के लिए यह बड़ा मुद्दा है। पढ़-लिखकर युवा अपने घर, परिवार एवं समाज को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी बाधा बेरोजगारी सामने आ जाती है।

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क्षेत्र में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हैं। युवा अपने हूनर की बदौलत कुछ करना चाहते हैं तो यहां भी कई तरह की परेशानियां सामने आ जाती हैं। लाचार होकर वे काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। इसके बाद अपना ही घर, समाज उन्हें बेगाना सा लगने लगता है। क्षेत्र के युवाओं के हूनर को तराश कर उन्हें काम देने की जरूरत है।

युवाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत उद्योग लगाने पर 25 लाख एवं सेवा क्षेत्र में निवेश करने पर 10 लाख रुपये दिए जाते हैं। लोन की रकम पर सामान्य जाति के आवेदक को 15 एवं आरक्षित जाति के आवेदकों को 25 फीसद तक सब्सिडी भी मिलती है।

इसी प्रकार किसानों के लिए केसीसी, सूक्ष्म-लघु एवं मध्यम व्यापारियों के लिए एमएसएमई, स्वयं सहायता समूह को ऋण देने की योजनाएं हैं। कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण देकर युवाओं को निपुण बनाकर रोजगार एवं स्वरोजगार से जोडऩे के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन इन योजनाओं में बैंकों की उदासीनता के कारण युवाओं को ऋण देने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है।

पिछले वित्तीय वर्ष में 40 फीसद से अधिक चयनित युवक लाभ पाने से वंचित रह गए। क्षेत्र में बड़े उद्योग-धंधे नहीं हैं। यहां की खेती भी मानसून पर आधारित है। युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में रोजगार के लिए पलायन करना ही उनके समक्ष विकल्प बच जाता है। युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें भटकने से रोका जा सकता है।

पिछले वर्ष आरशेट्टी से 722 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था। उनमें 120 लोगों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया। पूरे वित्तीय वर्ष में 380 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया। लेकिन इसके बावजूद स्थिति यह है कि प्रत्येक वर्ष लगभग 50 हजार लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं। पलायन करने वालों में महिलाएं एवं नाबालिग बच्चे भी होते हैं।

यहां रोजगार की ये हैं संभावनाएं

क्षेत्र में मंड़ुआ, महुआ, इमली आदि की फसल अच्छी होती है। इस पर आधारित छोटे-छोटे उद्योग लगाकर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। लाह का उत्पादन काफी मात्रा में होता है। इस पर तथा लकड़ी पर आधारित उद्योग लगाकर युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजार से जोड़ा जा सकता है।

युवाओं के रोजगार के लिए व्यवस्था नहीं है। स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है। कोई विकल्प नहीं मिलने पर वे पलायन करने के लिए मजबूर होते हैं। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। -विनोद प्रजाति, खूंटी।

स्वरोजगार के लिए सरकारी स्तर से प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। युवाओं को प्रशिक्षित कर ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। -संतोष जायसवाल, खूंटी।

जिले में स्वनियोजन की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। कुछ युवाओं को बाहर में प्लेसमेंट भी मिलता है तो पैसे बहुत कम दिए जाते हैं। खर्च नहीं जुटा पाने के कारण युवा पुन: घर लौट आते हैं। प्लेसमेंट के साथ युवाओं को उचित पैसे भी मिले, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। -भुवनेश्वर मुंडा, बिरसा कॉलेज।

युवाओं को स्वनियोजित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पिछले वर्ष 30 हजार लोगों को स्वनियोजन से जोड़ा गया। युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। -सुधन्वा मिश्रा, एलडीएम।


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