घायलों को रिम्स पहुंचाने में लगे रहे शहर भर के एंबुलेंस
खूंटी रांची रोड पर हुई दुर्घटना में घायल होने वालों की संख्या अधिक होने के चलते निजी अस्पतालों व संस्थाओं की एंबुलेंस की मदद ली गई। तकरीबन एक दर्जन एंबुलेंस से घायलों को रिम्स पहुंचाया गया।
खूंटी : रांची रोड पर हुई दुर्घटना में घायल होने वालों की संख्या अधिक होने के चलते निजी अस्पतालों व संस्थाओं की एंबुलेंस की मदद ली गई। तकरीबन एक दर्जन एंबुलेंस से घायलों को रिम्स पहुंचाया गया। उपायुक्त सूरज कुमार व एसपी आशुतोष शेखर के प्रयास से शहर की लगभग सभी एंबुलेंस को घायलों को घटनास्थल से सदर अस्पताल लाने और सदर अस्पताल से रिम्स भेजने में लगाया गया। घायलों को जल्द से जल्द रिम्स भेजने की व्यवस्था करने में उपायुक्त व एसपी पूरे समय सदर अस्पताल में मौजूद रहे।
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खूंटीवासियों ने पेश की मानवता की मिसाल
दुर्घटना की सूचना मिलते ही विहिप व बजरंग दल समेत अन्य सामाजिक संगठनों के लोग घटनास्थल व सदर अस्पताल पहुंच गए। घटनास्थल से घायलों को सदर अस्पताल भेजने और सदर अस्पताल में घायलों के इलाज में मदद करने में सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पुलिस बल व सामाजिक लोगों की तत्परता से घायलों को स्ट्रेचर से एंबुलेंस में लादने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। घायलों की मदद करने वालों में झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष शंकर मुंडा, विहिप के विनोद जायसवाल, प्रियांक भगत, सुनील साहू, विशाल साहू, सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार, रमेश पटेल, मो. आरिफ एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं समेत मीडियाकर्मी भी शामिल थे। बाद में झामुमो जिलाध्यक्ष जुबेर अहमद और कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामकृष्ण चौधरी भी सदर अस्पताल पहुंचे लेकिन तब तक गंभीर रूप से घायल 24 लोगों को रांची भेज दिया गया था।
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नर्सिंग की छात्रा ने की प्राथमिक चिकित्सा में मदद
नर्सिंग की एक छात्रा नीलिमा बोदरा अस्पताल में भर्ती अपने एक रिश्तेदार के साथ मौजूद थी। उसने जब देखा कि बड़ी संख्या में घायल आ रहे हैं तो वह भी चिकित्साकर्मियों के साथ घायलों के प्राथमिक उपचार में जुट गई। उसके इस जज्बे की लोगों ने सराहना की।
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यूएस की नर्सिंग स्टाफ भी जुट गई घायलों की मदद में
यूएस की नर्सिंग स्टाफ सोफियान हैदराबाद की संस्था अमेजिग फैक्ट के लोगों के साथ खूंटी आई हुई थी। वापस रांची लौट रही थीं। रास्ते में दुर्घटना को देख वापस सदर अस्पताल पहुंचीं और घायलों की तीमारदारी में लग गईं।
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सदर अस्पताल में कम पड़ गए बेड
सदर अस्पताल के वार्ड पहले से ही मरीजों से भरे हुए थे। कुछ ही बेड खाली थे, इसलिए जब बड़ी संख्या में घायल अस्पताल लाए गए, तो बेड कम पड़ गए। ऐसे में अस्पताल के बरामदे व जमीन पर ही घायलों को लिटाकर उनका प्राथमिक उपचार किया गया।