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पद्मश्री महिला विकास केंद्र की संस्थापक करुणा मेरी का निधन

पद्मश्री से सम्मानित महिला विकास केंद्र व चिल्ड्रेन ऑफ द न्यू डॉन की संस्थापक 96 वर्षीय सिस्टर करुणा मेरी ब्रिगेंजा का निधन बुधवार को पुणे के प्रग्नयालया में हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:19 AM (IST)
पद्मश्री महिला विकास केंद्र की संस्थापक करुणा मेरी का निधन
पद्मश्री महिला विकास केंद्र की संस्थापक करुणा मेरी का निधन

तोरपा : पद्मश्री से सम्मानित महिला विकास केंद्र व चिल्ड्रेन ऑफ द न्यू डॉन की संस्थापक 96 वर्षीय सिस्टर करुणा मेरी ब्रिगेंजा का निधन बुधवार को पुणे के प्रग्नयालया में हो गया। उनके निधन से महिला विकास केंद्र की निदेशक सिस्टर मरियालिना, संस्था के सदस्य तथा चिल्ड्रेन ऑफ द न्यू डॉन के शिक्षकों व कर्मचारियों ने गहरा शोक व्यक्त किया।

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करुणा मेरी ब्रिगेंजा ने संत जोसेफ कॉलेज, तोरपा में अंग्रेजी भाषा की शिक्षिका के रूप में छह साल तक एसोसिएशन की सेवा की। मुंडारी की स्थानीय बोली को सीखते हुए उन्होंने आदिवासियों के बीच काम किया और 1992 में सेंटर फॉर वूमेन डेवलपमेंट नामक महिला स्वयं सहायता समूह की स्थापना की। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, क्रेच, बच्चों के प्ले स्कूल और लड़कियों के छात्रावास की भी स्थापना की। सिस्टर ने इस क्षेत्र की स्वदेशी जड़ी बूटियों के प्रलेखन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेरी ब्रिगेंजा का जन्म 25 अक्टूबर 1923 में गोवा राज्य के मापुका में हुआ था। वे मुंबई के उपनगर बांद्रा में बड़ी हुईं। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से स्नातक व स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।

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शुरू से ही सामाजिक कार्यो में थी रुचि

करुणा मेरी की शुरू से ही सामाजिक कार्यो में रुचि थी। उन्होंने तालसारी में मिशन शिविर आयोजित किए। वे 1950 में नन के रूप में सोसाइटी ऑफ द सेक्रेड हार्ट, इंग्लैंड में शामिल हो गईं। भारत लौटकर वे सोफिया हाईस्कूल, बेंगलुरु में शिक्षिका बन गईं। कुछ वर्षाें तक वहां काम करने के बाद सोफिया कॉलेज, मुंबई में अंग्रेजी विभाग में शामिल हो गईं। वे उस विभाग की प्रमुख बन गईं। 1965 में कॉलेज की प्रिसिपल व वाइस प्रिसिपल का पद संभालने वाली वे पहली भारतीय थीं। कॉलेज की प्रिसिपल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई शैक्षिक और सामाजिक परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने स्नातक स्तर तक विज्ञान शिक्षा के लिए कॉलेज के एक प्रभाग भाभा इंस्टीटयूट ऑफ साइंस की स्थापना की और समाजशास्त्र, मनोविज्ञान व जैव रसायन के लिए नए विभाग शुरू किए। वहीं मुंबई में 1970 में सोफिया पॉलिटेक्निक के नाम से एक व्यावसायिक शिक्षा केंद्र शुरू किया और पांच साल की देरी से एक जूनियर कॉलेज शुरू किया। उनके प्रमुख योगदान में से एक था एसपीजे साधना स्कूल जहां अलग-अलग दिव्यांग बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता था और उन्हें पुनर्वास के अवसर प्रदान किए जाते थे। सोफिया कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद ब्रिगेंजा ने दिल्ली का रुख किया और ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर क्रिश्चियन हायर एजुकेशन के सचिव का पद संभाला और अपने अधिकार क्षेत्र के तहत 204 कॉलेजों की जिम्मेदारी संभाली।

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2000 में तोरपा से चली गई मुंबई

करुण मेरी ने तोरपा में महिला विकास केंद्र की स्थापना की। वर्ष 2000 में वे वापस मुंबई चली गईं वहां सोफिया कॉलेज के एलुमनी एसोसिएशन को पुनर्जीवित किया। पांच साल तक एसोसिएशन के निदेशक के रूप में अपनी गतिविधियों से जुड़ी रहीं। इसके अलावा श्रीलंका में सुनामी प्रभावित स्कूल के पुनर्वास और पुनर्निर्माण में भी उनकी भागीदारी रही है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्मश्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।


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