समेकित कृषि आय का अच्छा स्रोत : डा. राजन
जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारित है। एक देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है।
जागरण संवाददाता, खूंटी : जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारित है। एक देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है। देसी प्रजाति के गौवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डा. राजन चौधरी ने कहीं। डॉ राजन कृषि तकनीकी प्रबंधन अभिकरण, आत्मा खूंटी के तत्वावधान में मुरहू प्रखंड के हस्सा गांव में तीन दिवसीय किसान समेकित कृषि विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों के बीच जीरो बजट फार्मिंग एवं समेकित खेती के विभिन्न पहलुओं पर समझाते हुए उन्होंने कहा कि जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है। जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है। इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। फसलों की सिचाई के लिए पानी व बिजली भी मौजूदा खेती-बाड़ी की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है। उन्होंने स्वयं ही किसानों के मृदा जांच के तरीके बताए और अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से दूरी बनाने को कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मौसम आधारित खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में संचालित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के वाट्सअप समूह से जुड़े और आने वाले दिनों में मौसम की गतिविधियों की जानकारी के साथ खेती करें। कार्यक्रम में मौसम प्रेक्षक आशुतोष प्रभात, मुरहू की बीटीएम शिप्रा शालिनी, मुखिया विलसन पूर्ति समेत बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।