प्रकृति के विरुद्ध जाने से वो बदला तो लेगा ही : आचार्य विष्णु महाराज
भगवान भावाग्राही जनार्दन हैं जो केवल भाव के भूखे हैं वह अपने भक्त की केवल भावना को देखकर ही उस पर कृपा करते हैं।
संवाद सूत्र, तोरपा : भगवान भावाग्राही जनार्दन हैं, जो केवल भाव के भूखे हैं, वह अपने भक्त की केवल भावना को देखकर ही उस पर कृपा करते हैं। इसलिए जब भी भगवान का नाम संकीर्तन करो उसमें भाव की ही प्रधानता होनी चाहिए। यह बातें अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के अंतरराष्ट्रीय आचार्य परम पूज्यपाद भक्ति विचार विष्णु महाराज ने कहीं। तोरपा कोटेंगसेरा स्थित भगवान जगन्नाथ के गुंडिचा मंदिर में तीन दिवसीय प्रवास के पहले दिन शनिवार को उन्होंने कहा कि भगवान को भक्त के योग, भोग, ज्ञान, स्वाध्याय, धन-दौलत और तपस्या से कोई सरोकार नहीं है। वह तो भक्त के प्रेम पर ही रीझ जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा भारत धर्म प्रधान देश है। हम प्रकति के विरोध में जाएंगे प्रकति हमसे बदला तो लेगा ही। जिसका प्रमाण कोरोना वायरस का संक्रमण है। आचार्य विष्णु महाराज ने लोगों से कहा कि अपने स्वार्थ से थोड़ा ऊपर उठें। अपने परिवार के लिए जीना सीखें। अपने समाज के लिए जीना सीखें। इससे पूर्व परम पूज्यपाद भक्ति शौध जितेंद्रय महाराज व परम पूज्यपाद भक्ति संबंद शुद्धाद्वेती महाराज के नेतृत्व में जगन्नाथ मंदिर में भगवान नरसिंह यज्ञ किया गया। जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। इस दौरान शुद्धाद्वेती महाराज ने कहा कि सहस्त्र लोगों के आस्था एवं विश्वास के प्रतीक के रूप में नरसिंह अवतार के व्याख्यान सुनने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो की इस कोरोना काल में लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है। यज्ञ के माध्यम से कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए प्रार्थना की गई। यज्ञ की पूर्णाहुति होने के बाद मंदिर परिसर में प्रवचन व महाप्रसाद का वितरण किया गया।