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मातम में बदलीं खुशियां, जयपुर में शोक की लहर

रनिया प्रखंड के जयपुर में सोमवार तक खुशियां थीं। क्योंकि यहां आर्मी मैन सुनील कंडुलना के भाई का छेका होने वाला था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 08:02 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 08:02 PM (IST)
मातम में बदलीं खुशियां, जयपुर में शोक की लहर
मातम में बदलीं खुशियां, जयपुर में शोक की लहर

रनिया : रनिया प्रखंड के जयपुर में सोमवार तक खुशियां थीं। क्योंकि, यहां आर्मी मैन सुनील कंडुलना के छोटे भाई का छेका (बड़का कुटुंब) होने वाला था। इसकी तैयारी भी चल रही थी। रिश्तेदार भी पहुंचने लगे थे। पर, नियत को कुछ और ही मंजूर था। छेका को लेकर खरीदारी व अन्य कार्य के लिए सोमवार को सुनील कंडुलना रांची के रिंग रोड स्थित अपने घर से जयपुर पहुंच थे। वह रांची के रिंग रोड में ही अपना घर बनवाकर पत्‍‌नी व बच्चों के साथ रहते थे। रनिया में वह अपना काम खत्म कर पुन: रांची जाने के लिए बाइक से निकले थे। इसी क्रम में तोरपा के दियांकेल में गुप्ता नामक यात्री बस ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। इससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। तत्काल उन्हें इलाज के लिए तोरपा रेफरल अस्पताल में ले जाया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित रिम्स भेज दिया। पर, रिम्स पहुंचने से पूर्व ही सुनील कंडुलना ने दम तोड़ दिया था। उसकी मौत की सूचना से गांव में शोक की लहर व्याप्त है। कई घरों में चूल्हा भी नहीं जला है। वहीं, स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

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2005 में लगी थी नौकरी, भोपाल में थे तैनात

सुनील भेंगरा की आर्मी में नौकरी 30 मार्च 2005 को लगी थी। वह वर्तमान में 21 कोर कैंप भोपाल में तैनात थे। भाई के छेका को लेकर वह छुट्टी लेकर घर आए थे। वह रांची में अपने बनवाए हुए घर में रुके थे। वहां से रविवार को ही छेका की तैयारियों व खरीदारी को लेकर रनिया पहुंचे थे।

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पत्‍‌नी व बच्चों का रो-रोकर है बुरा हाल

सुनील कंडुलना की मौत के बाद उनकी पत्‍‌नी रेणु कंडुलना व दोनों बेटे प्रिंस व प्रतीक का रो-रोकर बुरा हाल है। सुनील के माता-पिता का स्वर्गवास पूर्व में ही हो चुक है। इसलिए पूरे घर की जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर ही है। सुनील का अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव जयपुर में ही किया जाएगा। मृतक की चाची नेली डहंगा ने मंगलवार को बताया कि सुनील बचपन से ही सेना में जाना चाहता था।


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