Move to Jagran APP

सुख-समृद्धि का पर्व धनतेरस आज, दीपावली शनिवार को

धनतेरस को लेकर खूंटी बाजार पूरी तरह से सज गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस चौक से भगत सिंह चौक तक सड़क के दोनों किनारों पर गणेश लक्ष्मी की मूर्ति और पूजन सामग्री की दुकानें सज गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:15 PM (IST)
सुख-समृद्धि का पर्व धनतेरस आज, दीपावली शनिवार को
सुख-समृद्धि का पर्व धनतेरस आज, दीपावली शनिवार को

खूंटी : धनतेरस को लेकर खूंटी बाजार पूरी तरह से सज गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस चौक से भगत सिंह चौक तक सड़क के दोनों किनारों पर गणेश लक्ष्मी की मूर्ति और पूजन सामग्री की दुकानें सज गई हैं। बाजार में बर्तन, कपड़े, आभूषण समेत अन्य दुकान नए-नए आकर्षक डिजाइन के सामग्ररियों के साथ सज गई हैं। धनतेरस पंच दिवसीय दीपावली उत्सव का पहला दिन है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही समुद्र मंथन के क्रम में धन की देवी माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थी, इसलिए इसे धनतेरस या धनत्रयोदशी कहते हैं। इसी दिन देव लोक के वैद्य धन्वन्तरी देवजी भी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इस दिन को धन्वंतरी जयंती भी मनायी जाती है। इस वर्ष 12 नवंबर गुरुवार को द्वादशी तिथि शाम 6:30 बजे तक रहेगी, इसके बाद त्रयोदशी तिथि लगेगी जो 13 नवंबर शुक्रवार को शाम 4:11 बजे तक रहेगी।

loksabha election banner

धनतेरस में धन लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल में तथा यमदेवता के पूजन का रात्रि काल में करने का विधान है। गुरुवार को ही अकाल मृत्यु से बचाव के लिए रात में यम देवता को तिल तेल का दीप दान करने का भी विधान है। अत: रात्रि में घर के बाहर यम देवता के निमित्त दीप दान किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित रमा शंकर तिवारी ने बताया कि धन्वंतरी देव का पूजन, जयंती एवं कामेश्वरी जयंती शुक्रवार 13 नवंबर को मनाना श्रेयस्कर रहेगा। धनतेरस के शुभ अवसर पर वस्तुओं का क्रय आज 12 नवंबर की संध्या 6:30 बजे के बाद से शुक्रवार 13 नवंबर को सायं 4:10 से पूर्व करना उचित रहेगा।

धनतेरस के दिन वस्तुओं का क्रय क्यों

पंडित रमा शंकर तिवारी ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ऐसी पौराणिक मान्यता है कि सभी वस्तुओं में माता लक्ष्मी का वास है। इसलिए माता लक्ष्मी की प्रसन्नता एवं धन वृद्घि की कामना से वस्तुओं का क्रय किया जाता है। इस दिन माता से सुख समृद्घि के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है। माता हिरण्य वर्णा अर्थातं् सोनें के समान रंग की हैं। अत: सोना या स्वर्ण आभूषण के क्रय से माता विशेष प्रसन्न होती हैं, ऐसी अवधारणा जनमानस में है।

राशि के अनुसार वस्तु का क्रय

मेष- ताम्रपात्र, भूमि भवन, स्वर्ण या पूजा पात्र, लाल वस्तु।

वृष- चांदी, हीरा जड़ित आभूषण, भवन, वाहन, सफेद वस्तु।

मिथुन-स्वर्ण आभूषण, इलेक्ट्रानिक वस्तुएं, कासां पात्र, वाहन।

कर्क- चांदी की वस्तु, घरेलू उपयोग के सामान, जल पात्र।

सिंह-तांम्र पात्र, सोना, भोजन निर्माण पात्र या उपकरण।

कन्या-आभूषण, पठन पाठन संबंधी उपकरण, टेलिवीजन या कम्प्यूटर।

तुला- चांदी सिक्का, आभूषण, मकान, वस्त्र या सफेद वस्तु।

वृश्चिक-भोजन निर्माण उपकरण पात्र, भूमि, स्वर्णाभूषण।

धनु- पीली धातु निर्मित वस्तु, पूजनपात्र, फर्नीचर आदि।

मकर- स्टेनलेस के उपकरण, वाहन, शौक साधन की वस्तु।

कुंभ- जल पात्र, चांदी, घरेलू उपकरण, भवन, वाहन आदि।

मीन-पीली धातु निर्मित वस्तु, भूमिभवन, जलपात्र, पूजन पात्र।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.