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उम्मीदों की बूंदें रुकीं तो बरसी मायूसी

जामताड़ा कृषि प्रधान इस जिले में मानसून अब किसानों का नहीं सुन रहा। पहले जब बीचड़ा डालने

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 07:42 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 07:42 PM (IST)
उम्मीदों की बूंदें रुकीं तो बरसी मायूसी
उम्मीदों की बूंदें रुकीं तो बरसी मायूसी

जामताड़ा : कृषि प्रधान इस जिले में मानसून अब किसानों का नहीं सुन रहा। पहले जब बीचड़ा डालने का था तो अत्यधिक बारिश ने नुकसान पहुंचाया। फिर बारिश ने राहत दी तो धनरोपनी हुई। भले देर से ही पर लक्ष्य के अनुरूप जिले में धान की रोपनी हो गई। अब पिछले माह से बारिश फिर दगा देने लगी है। खेतों को पानी चाहिए तो कई प्रखंडों में टोटा है। खासकर ऊपरी खेत यानी बाइद खेतों को पानी चाहिए पर नहीं मिल रहा। अब उसके पौधे मुरझाने लगे हैं। किसान मायूस हैं और उनकी मानसून सुन नहीं रहा।

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इस साल शुरुआती दौर में जरूरत से अधिक बारिश होने से शत-प्रतिशत खेतों में धान रोपनी संपन्न हुई, लेकिन अगस्त, सितंबर माह में पिछले कई वर्ष की तुलना में कम बारिश होने से ऊपरी सतही खेतों में आच्छादित धान को नुकसान पहुंच रहा है। अत्यधिक धूप व कम बारिश का परिणाम है कि निचले खेतों में आच्छादित धान की उपज अन्य वर्षो की तुलना में अधिक होने की संभावना जाहिर हो रही है। परंतु बाइद खेतों को तो नुकसान हो रहा है।

---पिछले की तुलना में इस साल तीन माह में कम बारिश : वार्षिक तुलना करें तो पिछले वर्ष जिले में निर्धारित वर्षा पात 1343.10 मिलीमीटर के विरुद्ध 994 .90 मिलीमीटर बारिश हुई थी, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष में निर्धारित वर्षा पात के विरुद्ध 1436.70 मिलीमीटर बारिश हुई जो वार्षिक तुलना में पिछले वर्ष से अधिक है, लेकिन दो माह की बात करें तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बारिश कम हुई है। पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त सितंबर में क्रमश: 285.20 मिलीमीटर, 252.10 मिलीमीटर व 112.80 मिलीमीटर बारिश हुई थी, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष के जुलाई-अगस्त सितंबर में क्रमश: 87.59 मिलीमीटर, 83.31 मिलीमीटर व 45.56 मिलीमीटर अब तक बारिश हुई है। अगस्त माह में 325.60 मिलीमीटर, अगस्त में 302.60 मिलीमीटर एवं सितंबर माह में 247.60 मिलीमीटर वर्षा पात निर्धारित है।

---क्या कहते हैं किसान : सहरपुरा के किसान मकरूद्दीन अंसारी ने बताया कि अत्यधिक बारिश के कारण पहले चरण में किसानों के खेतों में बोए गए धान बीज नष्ट हुए, लेकिन दूसरी ओर लाभ भी हुआ । कई वर्षो से ऊपरी सतही खेतों में धान रोपनी संपन्न नहीं हो पा रही थी। इस साल अत्यधिक बारिश होने के कारण ऊपरी खेतों में धान रोपनी संपन्न हुई। अब बारिश के अभाव के कारण ऊपरी क्षेत्रों के धान मुरझा रहे हैं। बारिश नहीं हुई तो ऊपरी खेतों में धान की उपज कम हो सकती है। लालचंडी के किसान मुस्तफा अंसारी ने कहा कि ऊपरी क्षेत्रों में आच्छादित धान के लिए बारिश की जरूरत है। एक सप्ताह तक पानी नहीं हुआ तो धान को नुकसान पहुंचेगा। इस वर्ष फसल बीमा भी नहीं किया गया है। यह भी किसान के लिए मुसीबत है।

-- 52000 हेक्टेयर में संपन्न हुई थी धान रोपनी : चालू वित्तीय वर्ष में जून माह तक निर्धारित वर्षा पात से अधिक बारिश होने के कारण जिले के निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप शत प्रतिशत खेतों में धान रोपनी संपन्न हुई। जिले में 52000 हेक्टेयर खेत धान रोपनी योग्य हैं जिसमें से 30 फीसदी खेत ऊपरी सतही में है। पिछले जुलाई माह से कम बारिश होने के कारण ऊपरी सतह ही खेतों में आच्छादित धान फसल पानी के अभाव में नहीं हो पाई। इस साल भी वही हाल है। इस बात को लेकर किसान चितित हैं।

-- वर्जन :

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक बारिश हुई है, लेकिन जुलाई-अगस्त सितंबर माह में निर्धारित वर्षा पात से कम बारिश हुई है। इस कारण ऊपरी सतह खेतों में आच्छादित धान को सिचाई की आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि बारिश कम होने और धूप तेज होने के कारण निचली सतह खेतों में आच्छादित धान रोगमुक्त हुआ है ऐसे में निचली सतह ही खेतों में धान की उपज ज्यादा होगी। ऊपरी सतह यानी बाइद खेतों को पानी चाहिए।

---सबन गुड़िया, जिला कृषि पदाधिकारी जामताड़ा।


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