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ग्रामीणों का शुद्ध पेयजल का सपना अधूरा

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) नारायणपुर प्रखंड से 14 किलोमीटर दूर देवलबाड़ी पंचायत का मंझलाडीह गांव अवस्थित है। यह गांव गोविदपुर-साहिबगंज मुख्य मार्ग के दोनों किनारे तीन टोला में विभक्त है। तीनो टोलों में विभक्त गांव में विकास की किरण तो जरूर पहुंची है लेकिन अब भी कई मायनों में यह गांव पिछड़ा है। करीब 700 की आबादीवाले इस गांव में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग के लोग निवास करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 06:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 06:24 PM (IST)
ग्रामीणों का शुद्ध पेयजल का सपना अधूरा
ग्रामीणों का शुद्ध पेयजल का सपना अधूरा

मुरलीपहाड़ी (जामताड़ा) : नारायणपुर प्रखंड से 14 किलोमीटर दूर देवलबाड़ी पंचायत का मंझलाडीह गांव अवस्थित है। यह गांव गोविदपुर-साहिबगंज मुख्य मार्ग के दोनों किनारे तीन टोला में विभक्त है। तीनो टोलों में विभक्त गांव में विकास की किरण तो जरूर पहुंची है लेकिन अब भी कई मायनों में यह गांव पिछड़ा है। करीब 700 की आबादीवाले इस गांव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग के लोग निवास करते हैं। गांव में नौकरी-चाकरीवाले परिवार दो से तीन ही है। कोई दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित हैं तो कोई छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना गुजर-बसर करता है। गांव के अनुसूचित जनजाति के दो-तीन परिवार अच्छे पढ़े-लिखे परिवार में शामिल हैं। वे अपने बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दीक्षा देने की ओर अग्रसर है। शेष अन्य लोग इन परिवारों की देखा-देखी अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकारी स्तर से गांव के बच्चों को शिक्षा देने के लिए विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र चलाया जा रहा है। गांव के दो टोले में प्रवेश के लिए पीसीसी सड़क की व्यवस्था है। एक टोले में बेहतर सड़क नहीं बन पाई है। लोग कच्ची सड़क से आवाजाही करने को विवश हैं। यहां के कई परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है। कई ऐसे परिवार हैं जो प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं। दर्जनभर परिवार ऐसे भी हैं जिनका नाम पीएम आवास का डेटाबेस में नहीं है। यहां सस्ते दर पर अनाज की सुविधा लगभग सभी परिवारों को मिल रही है। यहां के ग्रामीणों का सपना है कि गांव में स्वास्थ्य सुविधा, सड़क सुविधा, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था अब तक सरकारी स्तर से नहीं मिल पाया है। लोग चापाकल व कूप के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं। यहां के ग्रामीण अपनी बीमारी के इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणपुर जाते हैं जो गांव से करीब 14 किमी दूर है। हालांकि यहां की गर्भवती महिलाओं का प्रसव पास के स्वास्थ्य उपकेंद्र में होता है। ग्रामीणों को गांव में रोजगार मिले ऐसी व्यवस्था सरकारी स्तर से नहीं हो पाई है। दूसरों के साथ-साथ महिलाएं भी बेरोजगार ही हैं। युवा वर्ग के लोग कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि प्रदेश जाकर रोजगार का कार्य करते हैं। अकुशल मजदूरों के लिए मनरेगा जैसी योजना से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है। गांव के कई ऐसे युवा जो आठवीं से मैट्रिक व इंटर तक की शिक्षा ले चुके हैं। उन्हें प्रधानमंत्री कौशल योजना के तहत किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं मिला है। ऐसी संख्या लगभग 25 के पास होगी जो पढ़-लिख कर रोजगार की आस में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। गांव के लोगों की इच्छा है कि झारखंड का जैसे-जैसे विकास हो रहा है, उसी अपेक्षा में हमारे गांव का भी विकास हो। अब ग्रामीणों का सपना कब साकार होगा यह वक्त ही बताएगा।

इस बाबत ग्रामीण बलदेव महतो, मनोज दास, राजू दास, नंद किशोर दास, संजय दास, भोला दास ने बताया कि हमारा गांव अभी भी कई आधारभूत सुविधाओं से वंचित है। हमारे गांव में शुद्ध पेयजल के लिए अब तक कोई सुदृढ़ व्यवस्था नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य की सुविधा से भी हम महरूम हैं। हम लोग रोजगार की तलाश के लिए अक्सर दूसरे प्रदेश को पलायन करते हैं। चुनाव के वक्त हम अक्सर नेताओं के कथनी पर अपना मतदान करते हैं। लेकिन जब कार्य करने का मौका किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि को मिलता है तो वे हमारे गांव को भूल जाते हैं। हम बरसों से ठगते आ रहे हैं। अब हम लोगों ने तय किया है कि जो हमारे गांव का सर्वागीण विकास के लिए कार्य करेगा हमारा समर्थन उसे ही मिलेगा। जिन्होंने चुनाव जीतकर हमें ठगने का काम किया है उसे हम इस विधानसभा चुनाव में ठेंगा दिखाने का काम करेंगे।


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