फतेहपुर प्रखंड में पदाधिकारियों का टोटा, विकास कार्यो पर असर
संवाद सहयोगी फतेहपुर (जामताड़ा) फतेहपुर प्रखंड में पदाधिकारियों की कमी के कारण एक
संवाद सहयोगी, फतेहपुर (जामताड़ा): फतेहपुर प्रखंड में पदाधिकारियों की कमी के कारण एक पदाधिकारी के पास कई विभाग का प्रभार है। कई जनसेवक भी पदाधिकारी के पद पर आसीन हैं। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कब किस काम को पदाधिकारी निष्पादन करते होंगे। ऐसे में विकास कार्यो पर भी निश्चित तौर पर असर पड़ता है। बीडीओ मुकेश कुमार बाउरी के पास सीडीपीओ व एमओ का अतिरिक्त प्रभार है। सीडीपीओ रीता बेसरा का तबादला होने के बाद यहां सीडीपीओ का पदस्थापन नहीं किया गया तो बीडीओ को अतिरिक्त प्रभार मिल गया। प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी राजेश कुमार को एमओ का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। बाद में जिले के वरीय अधिकारी के निर्देश पर बीडीओ को ही एमओ का अतिरिक्त प्रभार मिल गया। एक पदाधिकारी के पास दो अतिरिक्त प्रभार। इसी तरह बीपीओ वाणिब्रत मित्रा का तबादला एक माह पहले करमाटांड़ प्रखंड में हो गया है। इसके स्थान पर जामताड़ा प्रखंड के बीपीओ को यहां का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। देखा जाए तो जामताड़ा से फतेहपुर की दूरी 35 किलोमीटर से ज्यादा है। ऐसे में जामताड़ा व फतेहपुर प्रखंड का मनरेगा योजना का काम पर असर पड़ना लाजिमी है। हरिपद रूईदास मूलरूप से जनसेवक है। इनके पास भी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी, कल्याण व सांख्यिकी पदाधिकारी के अलावा कई अन्य प्रभार है। समीर वाद्यकर भी जनसेवक के अलावा पंचायत सचिव व प्रखंड स्थापना का प्रभार है। कालीदास टुडू मूलरूप से जनसेवक हैं इसके पास आसनबेड़िया, फतेहपुर व बिदापाथर पंचायत का सचिव बने हुए हैं। अब कब किस पंचायत के लोगों की समस्या को सुनकर निदान करेंगे इसका अनुमान लगाया जा सकता है। यही वजह है कि पंचायतों में ताला झूलते हुए मिलता है। जिप सदस्य भुलू कोल ने सरकार से सीडीपीओ, एमओ व बीपीओ समेत सभी पदाधिकारी का पदस्थापन किए जाने की मांग किया है। जिससे लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।